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Bihar Politics-जातीय जनगणना के बाद अब जदयू का अल्पसंख्यक कार्ड! सीएम आवास पर अहम बैठक के क्या है मायने

Bihar Politics-जातीय जनगणना के बाद अब जदयू का अल्पसंख्यक कार्ड! सीएम आवास पर अहम बैठक के क्या है मायने

Ranchi- जातीय जनगणना के बाद बिहार की पूरी पॉलिटिक्स शीर्षासन लेता नजर आने लगा है. जिन सियासी समीकरणों के सहारे अब तक राजनीति का खेल खेला जाता था, अब वही समीकरण अपनी प्रांसगिकता खोता नजर आ रहा है और इसके साथ ही नये सामाजीक समीकरणों भी उभरते नजर आने लगे हैं.

अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के आरोपों से बचने की कोशिश में जिन राजनीतिक दलों के द्वारा अल्पसंख्यक मतदाताओं से एक हद तक दूरी बनाया लिया गया था, उनके सामाजिक सियासी मुद्दों को आवाज देने से बचने की कोशिश की जाती थी, हद तो यह हो गयी थी कि टिकट बंटवारें में भी उनकी अनदेखी की जा रही थी, अब वही राजनीतिक पार्टियां जातीय जनगणना के आंकडों के प्रकाशन के बाद एक बार फिर से अल्पसंख्यक मतदाताओं को रिझाने की कवायद में जुटती प्रतीत हो रही है.

इसी बदली राजनीति का नतीजा है कि काफी अर्से के बाद आज सीएम आवास पर अल्पसंख्यक नेताओं के साथ बैठक की जा रही है, दावा किया जा रहा है कि 2024 की लड़ाई में अल्पसंख्यक मतदाताओं की भूमिका सबसे अहम होने वाली है, और यदि  अल्पसंख्यक मतदाताओं को साधना है, तो उनकी राजनीतिक भागीदारी के सवाल को हल करना होगा. दलित पिछड़ों के समान ही अल्पसंख्यकों को भी उनकी आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी देना होगा.

ध्यान रहे कि जातीय जनगणना के आंकड़ों के अनुसार बिहार में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या करीबन 17 फीसदी है. यदि इसके साथ दलित और पिछड़ों को साथ खड़ा कर दिया जाय तो महागठबंधन की जीत पर कोई सशंय की स्थिति नहीं होगी.

यहां बता दें कि अल्पसंख्यक मतदाताओं को राजद का प्रमुख जनाधार माना जाता है, हालांकि खुद जदयू के प्रति भी अल्पसंख्यक मतदाताओं की कोई नाराजगी नहीं रही है, सीएम नीतीश चाहे जिस खेमे के साथ रहें हो, लेकिन वह अल्पसंख्यक मतदाताओं को इस बात के लिए सदा आश्वस्त करते रहें कि उनके साथ कोई भी भेदभाव नहीं होने वाला. सरकार सुशासन की राह पर चलते हुए सबों को सम्मान करेगी, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि टिकट बंटवारें में उनकी अनदेखी की जाने लगी.

जातीय जनगणना के आंकड़ों के प्रकाशन के बाद अहम हो गया है राजनीतिक भागीदारी का सवाल

लेकिन जैसे ही जातीय जनगणना का आंकड़ा आया, हर सामाजिक समूह की हिस्सेदारी साफ हो गयी, और उसके बाद भागीदारी का सवाल अहम हो गया. और खास कर असादुदीन ओवैसी की जिस प्रकार से बिहार की राजनीति में इंट्री हुई है, यह डर भी सताने लगा है कि यदि अल्पसंख्यक मतदाताओं का रुझान ओबीसी की पार्टी की ओर हुआ तो इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ सकता है. माना जाता है कि इसी बदली राजनीति में जदयू अल्पसंख्यकों को इस बात का भरोसा दिलवाना चाहती है कि महागठबंधन में उनकी राजनीतिक भागीदारी को सुनिश्चित किया जायेगा और दलित पिछड़ों के समान ही उन्हे भी सत्ता में भागीदारी दी जायेगी.

Published at:07 Oct 2023 01:10 PM (IST)
Tags:Bihar Politics- caste census JDU has minority card minority cardCM residencebihar
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