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लोकसभा चुनाव से पहले झामुमो में बड़ा उलटफेर! अर्से बाद किसी आदिवासी को मिला केन्द्रीय प्रवक्ता का ताज

लोकसभा चुनाव से पहले झामुमो में बड़ा उलटफेर! अर्से बाद किसी आदिवासी को मिला केन्द्रीय प्रवक्ता का ताज

Ranchi-लोकसभा चुनाव से ठीक पहले झामुमो ने अपने संगठानात्मक ढांचे में बड़ा बदलाव करते हुए हेमलाल मुर्मू को केन्द्रीय प्रवक्ता की जिम्मेवारी सौंपी है और इसके साथ ही लम्बे अर्से के बाद किसी आदिवासी-मूलवासी के उपर पार्टी की नीतियों को सामने रखने की जिम्मेवारी आयी है.

झामुमो की पहचान बन कर सामने आये थें सुप्रियो भट्टाचार्य

यहां ध्यान रहे कि पिछले कई दशक से सुप्रियो भट्टाचार्य ही पार्टी की नीतियों को सामने रखते रहे हैं. सुप्रियो का चेहरा ही झामुमो की पहचान में तब्दील होती दिख रही थी. संकट चाहे जैसा हो, चुनौती जितनी मुश्किल हो, सुप्रियो अपने तीखे अंदाज और धारदार सवालों से विरोधियों पर हमलावर रहे हैं. इस बीच विनोद पांडेय को भी प्रवक्ता की जिम्मेवारी सौंपी गयी. हालांकि पार्टी के अंदर विनोद पांडेय की पहचान थिंक टैक की भी रही है. लेकिन इसमें कोई भी आदिवासी-मूलवासी चेहरा नहीं था. जिसके कारण कई बार पार्टी के अंदर से असंतोष की खबरें भी सामने आती थी. विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी कई अवसर पर विरोध दर्ज कर चुके हैं, लोबिन का आरोप था कि आदिवासी-मूलवासी का राग अलपाने वाले झामुमो के पास अपना पक्ष रखने के लिए आदिवासी-मूलवासियों चेहरों की यह किल्लत क्यों है? पार्टी किसी आदिवासी-मूलवासी चेहरे को आगे क्यों नहीं करती? दावा तो यह भी किया जाता है कि खुद बसंत सोरेन भी इस बदलाव के पक्षधर थें.

बसंत सोरेन भी थें इस बदलाव के पक्षधर

सियासी गलियारों में एक खबर आम है कि उलगुलान रैली में मंच संचालन की जिम्मेवारी विनोद पाडेंय को सौंपे जाने से बसंत सोरेन काफी आहत थें और इसी नाराजगी में मंच से उन्होंने मंच से दूरी बनाने का फैसला किया था. लेकिन अब ठीक लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने एक आदिवासी चेहरे को केन्द्रीय प्रवक्ता की जिम्मेवारी सौंपने का फैसला किया है. अब देखना होगा कि हेमलाल मुर्मू किस दक्षता के साथ पार्टी की नीतियों को सामने रखते हैं.  क्योंकि सुप्रियो भट्टाचार्य के पक्ष में एक बात जाती है कि भले ही उनका चेहरा गैर आदिवासी-मूलवासी का हो, लेकिन जिस प्रखरता के साथ वह पार्टी की नीतियों को सामने रखते थें, उसका कोई सानी नहीं था. दूसरी बात जो सुप्रियो के पक्ष में जाती है, वह उनका झामुमो के साथ अटूट रिश्ता, पार्टी सत्ता में हो या विपक्ष में सुप्रियो ने कभी अपनी वफादारी नहीं बदली. किसी पद का लोभ नहीं पाला. हेमलाल मुर्मू को इस मामले में बचाव की स्थिति में खड़ा होना होगा, खास कर जब बात भाजपा को निशाने पर लेने का होगा, तब उन्हे कुछ असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि कभी इसी भाजपा के साथ उन्होंने संसद जाने का ख्वाब पाला था, हालांकि  सफलता नहीं मिली और घर वापसी को मजबूर होना पड़ा. बावजूद इसके इतना मानना पड़ेगा कि राजनीति में ये सारी उलटबासियां आम है, और यदि हेमलाल मुर्मू समर्पित भाव और तथ्यों के साथ पार्टी की नीतियों को सामने रखते है, झामुमो के उपर अब तक गैर आदिवासी-मूलवासी चेहरों को प्रश्रय देने का जो आरोप चस्पा होता रहा है, एक हद तक उससे मुक्ति मिलेगी.

Published at:24 Apr 2024 04:10 PM (IST)
Tags:a tribal got the crown of central spokespersonBig upheaval in JMM before Lok Sabha electionsVinod PandeySupriyo BhattacharyaHemlal Murmu central spokesperson बसंत सोरेन Hemlal Murmu got the responsibility of central spokesperson in JMMShock to Supriyo Hemlal Murmu got the responsibility of Central SpokespersonBig upheaval in JMM Vinod Pandeya's card cleared after Basant Soren's displeasure
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