TNPDESK- रेस कोर्स से दौड़ा- घोड़ा, देवगौड़ा-देवगौड़ा. यह नारा वर्ष 1996 में 46 सीटों वाली जनता दल की तरफ से देश के बारहवें प्रधानमंत्री के रुप में शपथ लेते वक्त पूर्व पीएम हरदनहल्ली डोडेगौडा देवगौडा के बारे में लगा था. भाजपा के इस दावे के विपरीत कि उसने पीएम मोदी के रुप में देश को पहला ओबीसी पीएम दिया, सच्चाई है कि वर्ष 1996 में देवगोड़ा की ताजपोशी के साथ ही देश को पहला ओबीसी पीएम मिल चुका था.
हालांकि इसके पहले भी ओबीसी पीएम के रुप में चौधरी चरण सिंह की ताजपोशी की गयी थी, लेकिन वह लोकसभा में अपना बहुमत साबित करने में असफल रहे थें. इस प्रकार पहला ओबीसी पीएम होने का तमगा देवगोड़ा के सिर ही जाता है और जिस महिला आरक्षण को लेकर आज विभिन्न दावे किये जा रहे हैं, लोकसभा के पटल पर पहली बार उस बिल को रखने का श्रेय भी किसी और सिर पर नहीं इन्ही हरदनहल्ली डोडेगौडा देवगौडा के खाते में जाता है.
भाजपा के साथ एनडीए का हिस्सा है देवगौड़ा
करीबन चार दशकों की राजनीति में बेहद साफ सुधरी और धर्मनिरपेक्ष छवि रखने वाले देवगोड़ा आज एनडीए के नए नवेले पार्टनर हैं. नए नवेले इसलिए कि कर्नाटक विधान चुनाव तक इनका जनता दल सेक्लूयर स्वतंत्र रुप से मैदान में था, लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने राजनीतिक करिश्मा करते हुए सत्ता में वापसी की, और भाजपा के साथ जनता दल सेक्लूयर को भारी पराजय का सामना करना पड़ा. उम्र के इस दौर में देवगौड़ा ने भाजपा का साथ जाने का एलान किया. माना जाता है कि कर्नाटक चुनाव के बाद भाजपा को भी इस बात का एहसास हुआ कि यदि उसने सेक्लूयर स्वतंत्र के साथ समझौता कर लिया होता तो उसके पास आज कर्नाटक की सत्ता होती, लेकिन हर बार भाजपा को यह अंतर्ज्ञान हार के बाद ही होता है, और हर हार के पहले वह एक अकेला के दम पर मैदान फतह करने का दावा करती रहती है.
देवगौड़ा के बयान के बाद एक बार फिर से चर्चाओं के केन्द्र में नीतीश कुमार
लेकिन भाजपा के विपरीत हम यहां देवगौड़ा की चर्चा कर रहे हैं. उनके के एक दावे और खुलासे से देश में सीएम नीतीश को लेकर एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है. जिस सीएम नीतीश को इंडिया गठबंधन की तरफ से पीएम फेस घोषित करने की संभावना जतायी जा रही है. और भाजपा हर दिन इस बात का दुष्प्रचार करती रहती है कि सीएम नीतीश तो खुद एनडीए में वापसी की राह तलाश रहे हैं. यह तो भाजपा है जो उन्हे हरि झंडी दिखलाने को तैयार नहीं है. दरअसल मीडिया प्रायोजित इस दावे के साथ भाजपा सीएम नीतीश की विश्वसनीयता को सवालों के घेरे में बनाये रखना चाहती है.
सीएम नीतीश को पीएम बनाने चाहते थें देवगौड़ा
लेकिन अब उसके ही पार्टनर देवगौड़ा ने यह कह कर सनसनी फैला दी है कि वह तो सीएम नीतीश को पीएम बनाने को तैयार बैठे थें. लेकिन मुख्य सवाल यह था कि क्या कांग्रेस इस बात को स्वीकार करेगी. इसके साथ ही देवगौड़ा यह सवाल भी खड़ा कर रहे हैं कि जिस प्रकार कांग्रेस मंडलवादी राजनीति की ओर मुड़ती नजर आ रही है, उससे देश की तमाम मंडलवादी पार्टियों के लिए खतरा खड़ा हो गया है. क्योंकि कांग्रेस के इस पैंतरे के बाद पिछड़ी जातियों का रुझान कांग्रेस की ओर बढ़ सकता है, कर्नाटक में इसी का नुकसान जनता दल सेक्यूलर को उठाना पड़ा.
क्या सच साबित होगी देवगौड़ा की आशंका
अब देखना होगा कि जिस सवाल को देवगोड़ा ने उठाया है, क्या कांग्रेस वास्तव में नीतीश कुमार को पीएम के रुप में स्वीकार करने को तैयार होती है, या देवगौड़ा की आशंका सही साबित होती है. कांग्रेस का रुख चाहे जो हो, इतना साफ है कि देवगौड़ा को प्रधानमंत्री के रुप में नीतीश की ताजपोशी पर कोई एतराज नहीं है. उल्टे वह इसके पैरोकार बन कर सामने आ सकते हैं. यही एनडीए की दुविधा है और राष्ट्रीय स्वीकारता सीएम नीतीश की स्वीकारता का घोतक भी.