रांची(RANCHI)-हेमंत सरकार ने मानव तस्करी के खिलाफ अंतिम लड़ाई का एलान कर दिया है, झारखंड से मानव तस्करी के कोढ़ को समाप्त करने के लिए सभी संबंधित विभागों की टीम को एक ही छतरी के नीचे लाने की योजना तैयार की जा रही है. इस संयुक्त कमांड के संचालन के लिए हर जिले में एक विशेष भवन का निर्माण किया जायेगा, जहां सभी संबंधित विभाग संयुक्त कमांड में इस लड़ाई को अंतिम अंजाम तक पहुंचायेंगे.
इस लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाने के लिए सीएम हेमंत ने हर जिले में स्वतंत्र भवन निर्माण के लिए परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है, साथ ही किसी भी कोताही से दूर रहने का सख्त हिदायत भी दी है.
24x7 होगी मानव तस्करी की निगरानी
इस भवन में एसटी-एससी विभाग, मानव तस्करी विरोधी सेल और महिला पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ साइबर अपराध विरोधी सेल के कर्मी 24x7 काम करेंगे. ताकि विभिन्न विभागों में समन्वय की परेशानी नहीं हो और एक सूचना पर सभी संबंधित महकमा बिना समय गंवाये मामले का समाधान कर सके. संयुक्त कमांड इस व्यापार से जुड़े सिंडिकेट की पहचान कर उसको नेस्तनाबूद करने की दिशा में काम करेगा.
आदिवासी दलित बच्चियां मानव तस्करी की सबसे आसान शिकार
ध्यान रहे कि मानव तस्करी झारखंड की एक बड़ी समस्या है, दावा किया जाता है कि हर वर्ष यहां से गरीब आदिवासी-दलित नाबालिग बच्चियों को देश के महानगरों में ले जाया जाता है, जहां उन्हे बेहद अमानवीय परिस्थिति में दायी का काम लिया जाता है. इसके साथ ही कई बार इन नाबालिग बच्चियों को काम दिलवाने के नाम पर देह व्यापार में भी झोंक दिया जाता है.
पिछले पांच वर्षो में 1574 मामले दर्ज किये गये
एक दावे के अनुसार पिछले पांच वर्षों में 1574 लोग मानव तस्करी के शिकार हो चुके हैं. वर्ष 2017 से लेकर 2022 के अंत तक मानव तस्करी के कुल 656 केस दर्ज किये गये. इनमें 18 वर्ष से कम उम्र के मानव तस्करी के शिकार युवक-युवतियों की संख्या 332 और 18 वर्ष या उससे अधिक की संख्या 216 थी. हालांकि कुल मामलों की संख्या इससे अधिक होती है, क्योंकि अधिकांश मामलों को दर्ज ही नहीं किया जाता, कई बार तो खुद माता-पिता और परिजनों की जानकारी में नाबालिगों काम दिलवाने के नाम पर ले जाया जाता है. लेकिन जब बाद में इनकी मेहनताना नहीं मिलता है, या बच्चियों की कोई जानकारी नहीं मिलती, तब जाकर परिजनों के द्वारा मामला दर्ज करवाया जाता है.
सबसे अधिक मामले खूंटी, गुमला और सिमडेगा जिलों से
मानव तस्करी की सबसे ज्यादा शिकायक गुमला, खूंटी, सिमडेगा, साहिबगंज और रांची से आते हैं. इन्ही जिलों से सबसे अधिक नाबालिग बच्चियों को महानगरों में दाई के रुप मे काम करने के लिए भेजा जाता है. झारखंड में मानव तस्करी की सबसे बड़ी वजह भूखमरी और अशिक्षा है. मानव तस्करों की नजर कमजोर सामाजिक आर्थिक समूह से आने वाले बच्चियों पर होती है, गरीबी की मार से संत्रस्त परिजनों को इस बात का विश्वास दिलाया जाता है कि महानगरों में इन्हे काफी सुख सुविधा के साथ रखा जायेगा और बदले में इन्हे हर माह एक राशि भी मिलेगी, लेकिन कई बार मेहनताना तो दूर नाबालिग बच्चियों को कोई अता पता नहीं चलता.