रांची (TNP Desk) : झारखंड में चंपाई सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. सभी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी हो गया. शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और सभी मंत्रियों ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के साथ तस्वीर भी खिंचाई. तस्वीर में सभी खुश नजर आ रहे हैं. शपथ ग्रहण के दौरान सत्तारुढ़ दल के सभी विधायक राजभवन के बिरसा मंडप में एकसाथ दिखाई तो दिए, लेकिन कांग्रेस के 12 विधायकों की नाराजगी कम नहीं हुई.
बजट सत्र का बहिष्कार करेंगे नाराज विधायक
शपथ ग्रहण से पहले कांग्रेस विधायकों की नाराजगी खुलकर सामने आ गई थी, जिससे पार्टी की काफी फजीहत भी हुई. दरअसल, कांग्रेस ने एक फिर पुराने चेहरों पर ही दांव खेला. पार्टी ने रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, बादल और आलमगीर आलम को ही मंत्री पद दिया. जिससे अन्य विधायक नाराज हो गए. विधायकों ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को ज्ञापन देते हुए दो टूक कहा कि साभी चारों मंत्री बदलें, नहीं तो वे विधानसभा सत्र में नहीं जायेंगे. बजट सत्र से पहले पार्टी फैसला ले, नहीं तो राज्य से बाहर चले जायेंगे.
फोन तक नहीं उठाते मंत्री
नाराज विधायकों ने प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से मांग करते हुए कहा कि कॉल करने पर मंत्री फोन तक नहीं उठाते हैं. चार साल इनका काम देखा है. सरकार में रहते हुए मंत्रियों ने कोई काम नहीं किया है. हम क्षेत्र में क्या मुंह लेकर जायेंगे. ये सभी मंत्री बाबूलाल मरांडी के समर्थन में बयान देते हैं. पार्टी में एक व्यक्ति, एक पद पर रहें. वहीं 12वां मंत्री कांग्रेस कोटे से बनाया जाना चाहिए. बता दें कि इन्हीं नाराज विधायकों की वजह से लातेहार से झामुमो विधायक बैजनाथ राम का मंत्री पद से पत्ता कट गया. जबकि बैजनाथ राम का नाम मंत्री पद के लिए राजभवन भेजा गया था. वह राजभवन के लिए निकल भी गये थे. इसके बाद सूचना मिली कि उन्हें शपथ नहीं लेना है. वह बीच रास्ते से ही लौट गये. इसके बाद बैजनाथ राम झामुमों के खिलाफ ही बगावत कर दी.
बेंगलुरु जाने की तैयारी में नाराज कांग्रेस विधायक
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चंपई सरकार की कैबिनेट विस्तार से नाखुश चल रहे कांग्रेस के 12 विधायक बेंगलुरु जाने की तैयारी में हैं. अगर ये विधायक बेंगलुरु चले गए तो राज्य में बड़ा खेला हो सकता है. यदि उन्होंने समर्थन वापस ले लिया तो चंपाई सरकार अल्पमत में आ जायेगी. अब देखना होगा कि कांग्रेस कैसे इस डैमेज कंट्रोल को पार करती है. या फिर कांग्रेस में बड़ी टूट हो जाएगी. अगर कांग्रेस में टूट हो गयी तो आने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी राह कठिन हो जाएगी.