Patna-विधान सभा के अंदर एक बयान के कारण भाजपा के विरोध का सामने कर रहे सीएम नीतीश ने आज अपना अंतिम तीर चल ही दिया. बिहार विधान सभा से बगैर किसी विरोध के आरक्षण विस्तार प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गयी. इसके साथ ही अब तक पिछड़ी अति पिछड़ी जातियों को मिलने वाली 27 फीसदी आरक्षण का दायरा अब 43 फीसदी तक पहुंचाने का रास्ता साफ हो गया. इसके साथ ही अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 से 20 फीसदी, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण एक से दो फीसदी करने का फैसला किया गया है. वर्तमान में बिहार में अभी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी की है, जबकि इस विस्तार के बाद यह सीमा 65 फीसदी तक पहुंच गया. यदि इसमें 10 फीसदी सामान्य जाति के आरक्षण को भी जोड़ दिया, तो यह आंकड़ा 75 फीसदी तक पहुंच जायेगा.
पहले क्या था आरक्षण का दायरा
इसके पहले तक पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा को 27 फीसदी, एस टी और एससी समुदाय के लिए 17 फीसदी, सवर्णों को 10 फीसदी, महिला को तीन फीसदी, विकलांग को 3 फीसदी और स्वतंत्रता सेनानियों को 1 फीसदी आरक्षण प्राप्त था. ध्यान रहे कि आज विधान परिषद में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंत्री विजय चौधरी ने जाति आधारित जनगणना की विस्तृत रिपोर्ट को पेश करते हुए इसे मील का पत्थर बताया था. उनका दावा था कि जातीय जनगणना की गूंज आज पूरे देश सुनाई पड़ रही है, हर राज्य से जातीय गणना की मांग तेज हो रही है. लेकिन इस गणना से कुछ लोंगों के पेट में दर्द हो रहा है. हालांकि इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने दावा किया कि भाजपा शुरु से इसकी समर्थक थी, हमने कभी इसका विरोध नहीं किया. मंडल कमीशन को विरोध तो राजीव गांध की सरकार ने किया था. यदि सरकार 80 फीसदी भी आरक्षण की बात करती है तो हम उस सीमा तक भी सरकार का साथ देने को तैयार हैं.
अमित शाह ने कहा था जातीय जनगणना भाजपा की देन
यहां बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह ने भी बिहार दौरे के समय यह दावा किया था कि भाजपा के सहयोग से ही बिहार में जातीय जनगणना अपने अंतिम मुकाम तक पहुंचा, क्योंकि जब इसको लेकर सर्वदलीय समिति का गठन किया गया था, और प्रधानमंत्री से इस मसले को लेकर मुलाकात की गयी तब भाजपा भी उस सर्वदलीय समिति हिस्सा थी. हालांकि ना तो अमित शाह और ना ही सम्राट चौधरी इस बात का कोई जवाब दे पा रहे हैं कि यदि भाजपा जातीय जनगणना का इतना भी बड़ा समर्थक है तो वह पूरे देश में जातीय जनगणना करवाने की घोषंणा क्यों नहीं करती. और यही कारण है जदयू राजद बार बार भाजपा पर पिछड़ा दलित विरोधी होने का आरोप लगाती है, जदयू का आरोप है कि भाजपा सियासी मजबूरी के कारण बिहार में मौखिक रुप से जातीय जगगणना का समर्थन करती है, लेकिन यही भाजपा अपने लोगों को सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट में खड़ा कर इसकी राह में कानूनी अड़ंगा लगाती है, बिहार की जनता भाजपा के इस स्टैंड और उसके दुहरे रवैये से भली भांति परिचित है, इनका कोई भी दांव बिहार में चलने वाला नहीं है, 2024 में ये बिहार की दो सीटों पर भी जीत की स्थिति में आने वाले नहीं है.
जातीय जनगणना को बता चुके हैं महापाप पीएम मोदी
देखना होगा कि पिछड़ों के आरक्षण के इस विस्तार पर भाजपा क्या रुख अख्तियार करती है, हालांकि सम्राट चौधरी इसका स्वागत करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन देखना होगा कि आगे की रणनीति वह क्या बनाती है, क्योंकि जातीय जनगणना के सवाल पर भी भाजपा के अन्दर से एक साथ कई सुर निकलते देख रहे थें, सुशील मोदी का स्टैंड एक दिशा में जा रहा था, तो दूसरी ओर गिरिराज सिंह पीएम मोदी की तर्ज पर जातीय जनगणना को महापाप बता रहे थें.
आप इसे भी पढ़ सकते हैं
72 वर्षीय नीतीश का चैप्टर क्लोज! तो क्या 82 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे पर दांव लगायेगी “इंडिया