TNP DESK-ईरान सरकार के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने के आरोप में एवान जेल में कैद में पत्रकार, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और महिला अधिकारों की योद्धा 51 वर्षीय नरगिस मोहम्मदी को इस वर्ष का नोबेल पीस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने का एलान किया गया है. 51 वर्षीय नरगिस मोहम्मदी को अब तक 13 से अधिक बार गिरफ्तार किया है, फिलहाल वह एवान जेल में 31 वर्ष की सजा काट रही है. इसके साथ ही नरगिस को 154 कोड़ों की सजा भी मिली है. जन- जिंदगी-आजादी उनका प्रमुख नारा है.
इंजीनियरिंग की शानदार कैरियर को छोड़कर थामी थी कलम
कुर्दिस्तान के जंजन शहर में 21 अप्रैल 1972 को जन्मी नरगिस मोहम्मदी ने भौतिक शास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की है, पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी शुरुआत बतौर एक इंजीनियर के रुप में हुई. लेकिन बाद में नरगिस का मन इंजीनियरिंग में नहीं जमा और अखबारों में लेखन शुरु कर दिया, उनके कॉलम काफी लोकप्रिय होने लगे, उन्हे महिला अधिकारों को मुखर प्रवक्ता माना जाता है. ईरान जैसे कट्टर समाज में उनका महिला अधिकारों की बात करना कट्टरपंथियों को रास नहीं आया, और नरगिस पर ईरानी सरकार के विरुद्ध प्रोपगैंडा फैलाने का आरोप लगने लगा. इस बीच वर्ष 2003 आते-आते नरगिस ने तेहरान के डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर में काम शुरू कर दिया. जिसके बाद नरगिस के विरुद्ध जेल में बंद राजनीतिक कार्यकर्ताओं को मदद करने का आरोप लगा और 2011 में जेल में डाल दिया गया, लेकिन दो साल बाद जमानत मिल गयी, लेकिन 2015 आते-आते वह एक बार फिर से जेल जाना पड़ा. पिछले आठ वर्षों से वह अपने बच्चों से भी नहीं मिली है. नरगिस की दोनों बेटियां उनके पति तागी रहमानी के साथ फ्रांस में रहती हैं. खुद तागी भी एक राजनीतिक कार्यकर्ता है, और उन्हें भी ईरान में जिंदगी का 14 वर्ष जेल में बिताना पड़ा था. जेल में रहते हुए नरगिस ने कैदियों की पीड़ा को लीपिबद्ध किया और उसे व्हाइट टॉर्चर किताब की शक्ल में प्रकाशित करवा दिया. 2022 में उन्हें रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के साहस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।