रांची(RANCHI):ईडी समन के खिलाफ सीएम हेमंत की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी. जस्टीस अनुरुद्ध बोस और बेला एम. त्रिवेदी की अदालत ने सीएम हेमंत की ओर से की गयी उस आग्रह को स्वीकार कर लिया, जिसमें उनके अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की बीमारी हवाला देते हुए मामले को अगले सप्ताह तक टालने का आग्रह किया गया था.
यहां बता दें कि कथित जमीन घोटला मामले में ईडी ने सीएम हेमंत को 14 अगस्त को अपने कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया था, जिसके बाद सीएम हेमंत ने ईडी से यह सवाल खड़ा किया था कि क्या किसी भी राज्य के मुखिया को 14 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलावा भेजना उसे अपमानित करने की साजिश नहीं है. जबकि हर किसी को पत्ता है कि 15 अगस्त और 15 अगस्त के पहले एक सीएम की कितनी व्यस्तता होती है, बावजूद इसके जानबूझ 14 अगस्त की तिथि को निर्धारित करना, इस बात का प्रमाण है कि ईडी अपने राजनीतिक आका के दवाब में एक निर्वाचित सरकार के मुखिया को बदनाम करने की साजिश रच रही है, ताकि यह मीडिया का हेडलाईन बन सके. साथ ही सीएम हेमंत ने ईडी को अपना समन वापस लेने या कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा था.
हालांकि उसके बाद एक बार फिर से 24 अगस्त को ईडी कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया, लेकिन सीएम हेमंत उस दिन भी ईडी कार्यालय नहीं पहुंचे और ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयें, इधर मामला कोर्ट में रहने के बावजूद ईडी ने सीएम हेमंत के नाम 9 सितम्बर को तीसरा समन भेजा दिया, लेकिन सीएम हेमंत उस दिन भी ईडी कार्यालय नहीं पहुंचे. साफ है कि सीएम हेमंत अब इस मामले का समाधान सुप्रीम कोर्ट में चाहते हैं.
पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता की चुनौती दे चुके हैं सीएम हेमंत
यहां बता दें कि सीएम हेमंत ने अपनी याचिका में पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती दी है, उन्होंने कहा कि पीएमएलए की धारा 19 के तहत जांच एजेंसी को धारा 50 के तहत बयान दर्ज करने के दौरान ही किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार है. जबकि आईपीसी के तहत किसी भी जांच एजेंसी के समक्ष दिया गया बयान का कोर्ट में कोई मान्यता नहीं है, इस विरोधाभास को दूर करने की जरुरत है. उन्होंने ने इस मामले में ईडी के साथ ही न्याय एवं कानून मंत्रालय को भी प्रतिवादी बनाया है. हालांकि इस बीच खुद ईडी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है, और उसके द्वारा किसी भी नतीजे पर पहुंचने के पहले ईडी का पक्ष सुनने की गुहार लगायी गयी है. यहां यह बता दें कि यह मामला कार्ति पी चिदंबरम बनाम ईडी पर आधारित है, और वह मामला भी अभी कोर्ट में पेंडिंग है.