Ranchi-आखिरकार लम्बे इंतजार के बाद आजसू ने गिरिडीह से अपनी प्रत्याशी का एलान कर दिया. आजसू ने इस बार भी चन्द्र प्रकाश चौधरी को मैदान में उतारने की घोषणा की है, और इसके साथ ही यह साफ हो गया कि एनडीए की ओर से चन्द्रप्रकाश चौधरी टाईगर जयराम के सामने ताल ठोंकेगे.
यहां बता दें कि भाजपा के द्वारा अपनी सभी 13 सीटों पर प्रत्याशियों के एलान के बाद सियासी गलियारों में गिरिडीह को लेकर चर्चा तेज थी. दावा किया जा रहा था कि इस बार चन्द्र प्रकाश चौधरी चुनावी समर से दूर रहने की इच्छा जता रहे हैं. उनकी मंशा गिरिडीह के बजाय हजारीबाग से किस्मत आजमाने की थी. लेकिन भाजपा ने हजारीबाग से मनीष जायसवाल को मैदान में उतार कर चन्द्रप्रकाश चौधरी की इस चाहत पर पानी फेर दिया और इसके बाद यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि आजसू इस बार किसी भी सीट से मैदान में नहीं उतरेगी, इसकी बदले आजसू सुप्रीमो को बाद में राज्य सभा के रास्ते दिल्ली भेजा जायेगा. लेकिन इन सारे कयासों को विराम देते हुए आखिकार सुदेश महतो ने एक बार फिर से चन्द्रप्रकाश चौधरी को मैदान में उतारने का एलान कर दिया और इसके साथ ही इस कुर्मी बहुल सीट पर दो कुर्मी चेहरों के बीच सियासी भिड़ंत का रास्ता साफ हो गया, हालांकि झामुमो से भी गिरिडीह से झारखंड की सियासत का एक बड़ा कुर्मी चेहरा मथुरा महतो को मैदान में उतराने की चर्चा है, और यदि ऐसा होता है, तो इस सीट पर तीन कुर्मी स्टालवार्ट के बीच सियासी भिड़ंत देखने को मिलेगी.
क्या है सामाजिक और सियासी समीकरण
यहां याद रहे कि गिरिडीह लोकसभा में गिरिडीह विधान सभा से झामुमो का सुदिव्य कुमार सोनू, डुमरी विधान सभा से झामुमो की बेबी देवी, गोमिया से आजसू के लम्बोदर महतो, बेरमो से कांग्रेस का कुमार जयमंगल, टुंडी के झामुमो का मथुरा महतो और बाधमारा से धनबाद लोकसभा में ताल ठोक रहे भाजपा का ढुल्लू महतो हैं. इस प्रकार कुल छह विधान सभा में आज इंडिया गठबंधन के पास चार और एनडीए के पास कुल दो विधान सभा की सीटें है. जबकि जीत के हिसाब से अब तक इस सीट पर झामुमो कुल तीन बार और कांग्रेस चार बार विजय पताका फहरा चुकी है, जबकि भाजपा छह बार और आजसू एक बार कामयाबी हासिल करने में कामयाब रही है. यदि सामाजिक समीकरण की बात करें तो एक आकलन के अनुसार गिरिडीह संसदीय सीट पर अल्पसंख्यक 17 फीसदी, एसी-11 फीसदी, एसटी 15 फीसदी, महतो-15 फीसदी, मांझी 4 फीसदी है. इसमें अल्पसंख्यक और आदिवासी समाज को झामुमो का कोर वोटर माना जाता है. जिनकी कुल हिस्सेदारी करीबन 32 फीसदी की होती है, इस हालत में सत्ता की चाबी एसी 11 और कुर्मी और दूसरी पिछड़ी जातियों को हाथ में नजर आती है. यदि कुर्मी जाति का एक हिस्सा झामुमो के साथ खड़ा होता और दूसरी पिछड़ी जातियां का समर्थन मिलता है, उस हालत में इंडिया गठबंधन की इंट्री हो सकती है, लेकिन जयराम की इंट्री के बाद यह सारे सामाजिक समीकरण पर सवाल उठने लगे हैं, दावा किया जाता है कि गिरिडीह में युवा मतदाताओं के बीच आज जयराम का क्रेज है. इस हालत में चुनाव का परिणाम क्या होगा, इसका आकलन बेहद मुश्किल नजर आता है.
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