रांची(RANCHI)- कुड़मी संगठनों की ओर से आदिवासी दर्जी की मांग के लिए रेल रोको कार्यक्रम में भागीदारी देने पहुंचे आजसू नेता लम्बोदर महतो को में हिरासत में लेने की खबर आयी है. उन पर मुरी जंक्शन पर रेल रोकने का प्रयास और प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करने का आरोप है, खबर लिखे जाने तक उन्हे सिली पुलिस स्टेशन में रखा गया था. इस बीच कुड़मी प्रदर्शनकारियों की उग्रता को देखते हुए गोमो में निषेधज्ञा लगा दी गयी है.
यहां बता दें कि झारखंड उड़िसा सहित पच्छिम बंगाल में कुरमी संगठनो के द्वारा रेल रोको अभियान चलाये जा रहा है, कुड़मी संगठनों की मांग कुड़मी जाति को आदिवासी का दर्जा देने की है. इस बीच कुड़मी संगठनों को आजसू का समर्थन भी मिल चुका है, आजसू विधायक लम्बोदर ने दावा किया है कि कुड़मी को जनजाति का दर्जा देने से किसी भी आदिवासी को कोई नुकसान नहीं होगा, उल्टे इसके बाद झारखंड में आदिवासी समाज की आबादी 50 फीसदी के पार चली जायेगी और जिसके बाद झारखंड केन्द्र से विशेष पैकेज का भी हकदार हो जायेगा.
इस बीच पश्चिम बंगाल में कुर्मी संगठनों के द्वारा आन्दोलन से जुड़े नेताओं पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए रेल रोको आन्दोलन को वापस लेने का फैसला किया है. कुड़मी आन्दोलन के नेता अजीत महतो ने इस बात का दावा किया है कि पच्छिम बंगाल सरकार लगातार हमारे नेताओं का उत्पीड़न कर रही है, जिसके कारण हमें मजबूर होकर आन्दोलन वापस लेने का फैसला लेना पड़ रहा है. हालांकि अजीत महतो ने इस बात का भी दावा किया कि 30 सितम्बर को पुरुलिया में संगठन की बैठक में आन्दोलन के लिए आगे की रणनीति तैयार की जायेगी.
टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा का आन्दोलन वापस लेने से इंकार
लेकिन इसके विपरीत झारखंड ओडिशा में टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा ने आन्दोलन जारी रखने का फैसला किया है. हालांकि दक्षिण-पूर्वरेलवे (एसईआर) और पूर्व तटीय रेलवे (ईसीओआर) के द्वारा यह दावा किया गया है कि कुड़मी संगठनों के द्वारा प्रस्तावित आन्दोलन वापस ले लिया गया है, जिसके बाद सभी रद्द 11 ट्रेनों को एक बार फिर से चलाने का फैसला किया गया है. इसके साथ ही जिन 12 ट्रेनों का मार्ग बदला गया था, अब उसे भी सामान्य मार्ग पर चलाया जायेगा. रांची रेल मंडल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी निशांत कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सभी रद्द और मार्ग परिवर्तित ट्रेनों को सामान्य मार्ग पर चालू किया जा रहा है.
आदिवासी दर्जे की मांग के लिए संघर्ष करता रहा है कुड़मी समाज
लेकिन रेलवे अधिकारियों के दावे के विपरीत टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा (टीकेवीएम) के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने साफ किया है कि संगठन की ओर से इस प्रकार को कोई फैसला नहीं हुआ है, हमारे सभी समर्थक ट्रेन को बाधित करने की रणनीति पर काम करते रहेंगे, सरकार जल्द से जल्द कुड़मियों को आदिवासी का दर्जा दे और इसके साथ ही कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करे. यहां ध्यान रहे कि कड़मी समाज के द्वारा लम्बे अर्से से आदिवासी का दर्जा देने की मांग की जाती रही है, और आज भी कुड़मी समाज झारखंड के मुरी, गोमो, नीमडीह और घाघरा स्टेशनों पर अपना शक्ति प्रर्दशन कर रहा है.