Patna-आखिरकार नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना के बाद आरक्षण विस्तार को उसको अंजाम तक पहुंचा दिया, राज्यपाल की स्वीकृति के बाद अब बिहार सरकार ने उसे गजट में प्रकाशित कर दिया है, इस प्रकार आज से ही बिहार में पिछड़ी जातियों को नौकरियों सहित शिक्षण संस्थानों में 43 फीसदी का आरक्षण मिलने लगेगा, जिसका सीधा असर आने वाली नियुक्तियों में देखने को मिलेगा.
ध्यान रहे कि नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़ों के मद्देनजर पिछड़ी जातियों को 43 फीसदी, अनुसूचित जाति को 20 और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने का बिल विधान सभा से पास कर राज्यपाल के पास भेजा था, राज्यपाल की स्वीकृति के बाद अब इसे गजट का हिस्सा बना दिया गया है. इस प्रकार आरक्षण की सीमा को 75 फीसदी करने वाला बिहार देश के गिने चुने राज्यों में शामिल हो चुका है. हालांकि इसके पहले छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने भी आरक्षण की सीमा को 76 फीसदी करने का फैसला लिया था, भूपेश बघेल ने अनुसूचित जनजाति (ST) को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (SC) को 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत और सवर्ण गरीबों को चार प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था, लेकिन बाद में कोर्ट के द्वारा इस पर रोक लगा दी गयी.
भूपेश बघेल के विपरीत नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना के बाद आरक्षण विस्तार का लिया निर्णय
लेकिन भूपेश बधेल की विपरीत नीतीश सरकार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाने के पहले पूरा होम वर्क किया और जातीय जनगणना इसी का हिस्सा था, जिसके बाद सरकार के पास हर जातियों का वैज्ञानिक आंकड़ा है, माना जा रहा है कि इसके बाद नीतीश सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती देना मुश्किल साबित होगा. दावा किया जाता है कि यदि भूपेश बघेल की सरकार भी नीतीश कुमार की तरह ही जातिगत सर्वेक्षण के बाद यह निर्णय लेती तो यह मामला कोर्ट में नहीं फंसता, हालांकि अब माना जा रहा है कि कई दूसरे राज्य भी नीतीश सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए जातीय जनगणना के बाद आरक्षण विस्तार को निर्णय ले सकते हैं, यही कारण है कि राहुल गांधी अपनी हर रैली में जातीय जनगणना के सवाल को उठाते हुए दिख रहे हैं, उनका दावा है कि जहां जहां कांग्रेस की सरकार बनती है, उन राज्यों में तत्काल जातीय जनगणना करवा कर सभी सामूजिक समूहों के साथ न्याय किया जायेगा.
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