Ranchi- 2024 के महाजंग को लेकर भले ही सियासी दलों में उपर-उपर शांति नजर आ रही हो, लेकिन अन्दरखाने सियासत बेहद तेज है, दावे-प्रतिदावों की शुरुआत हो चुकी है. सियासी दलों में अनदुरुनी तौर पर बेहद सधे अंदाज में अपने-अपने महारथियों की जमीनी ताकत का आकलन किया जा रहा है, और बदले हालत में अपने-अपने सामाजिक समीकरणों को और भी धारदार बनाने और विस्तार देने की कवायद की जा रही है.
भाजपा के इस किले पर विजय पताका फरहाने के लिए ताल ठोक रहा है इंडिया गठबंधन
कुछ यही हालत पलामू लोकसभा क्षेत्र की भी है, 1991 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के गढ़ में रुप में सामने आये इस संसदीय क्षेत्र पर विजय पताका फहराने के लिए इंडिया गठबंधन भी अपने गुणा भाग में लगा है. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि इंडिया गठबंधन में यह सीट किसके खाते में जायेगी, लेकिन पलामू संसदीय सीट पर विशेष नजर रखने वाले सियासी जानकारों का मानना है कि इंडिया गठबंधन में यह सीट सबसे अधिक मुफीद राजद के लिए रहेगी. 2004 में मनोज कुमार तो 2006 में घूरन राम को मैदान में उतार कर राजद भाजपा के इस किले को पहले भी ध्वस्त कर चुकी है, हालांकि उसके पहले भी 1977 और 1989 में जनता दल के द्वारा इस सीट पर विजय पताका फहराया गया था.
चेहरों की किल्लत से पलामू में जूझ रहा है कांग्रेस
जहां तक कांग्रेस की बात है तो अब तक छह बार वह इस संसदीय सीट पर अपना कमाल दिखा चुकी है. लेकिन जानकारों का आकलन है कि आज के दिन कांग्रेस के पास वह हैसियत बची नहीं है, पलामू के किले को ध्वस्त करने के लिए उसके पास आज अनुसूचित जाति का कोई दमदार चेहरा नहीं है, हालांकि कांग्रेस के पास के.एन त्रिपाठी जैसे जुझारु नेता आज भी मौजूद हैं, लेकिन यहां तो सवाल अनुसूचित जाति के चेहरे का है, और वह भी स्थानीय और यहीं से बाजी कांग्रेस के हाथ से बाहर जाती दिखती है.
राजद के लालटेन पर दांव खेल सकती है इंडिया गठबंधन
इस हालत में यह दावा किया जा रहा है कि भाजपा के इस किले में बैटिंग के लिए इंडिया गठबंधन की ओर से राजद कहा जा सकता है, और यदि राजद के लालटेन को कांग्रेस के के.एन त्रिपाठी, झामुमो के दूसरे नेताओं के द्वारा केरोसीन दिया गया तो मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है, और बहुत संभव है कि यह सीट एक फिर से इंडिया गठबंधन के खाते में चला भी जाये.
जातीय जनगणना के आंकड़ों का पड़ सकता है पलामू पर असर
इसके पक्ष में तर्क यह दिया जा रहा है कि जिस प्रकार से बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किये गयें हैं, उसका असर पलामू की राजनीति में पड़ना तय है. वैसे ही पलामू में राजद का मजबूत जनाधार रहा हैं, यदि उसी जनाधार को कांग्रेस और झामुमो के द्वारा मजबूती प्रदान कर दी जाती है तो भाजपा के इस किले को ध्वस्त किया जा सकता है, खासकर तब जब खुद भाजपा के अन्दर भी कई गुट बताये जा रहे हैं. और दावा किया जा रहा है कि 2014 और 2019 में लगातार जीत के बाद भाजपा के खिलाफ यहां एक प्रकार की एंटी इनकम्बेंसी की झलक देखने को मिल रही है, हालांकि वह एंटी इनकम्बेंसी भाजपा से ज्यादा वर्तमान सांसद बीडी राम के खिलाफ है.
धूरन राम को चेहरा बना सकता है राजद
अब जो सबसे अहम सवाल खड़ा होता है कि राजद की ओर से किसे अखाड़े में उतारा जायेगा. तो यहां सबसे पहला नाम घूरन राम का आता है. याद रहे कि 2006 में घूरन राम ने दूसरी बार इस सीट पर राजद का लालटेन जलाया था, उसके पहले 2004 में मनोज कुमार राजद का लालटेन जला चुके थें. लेकिन घूरन राम 2009 में झामुमो के कामेश्वर बैठा के हाथों मात खा गयें, लेकिन जीत का आंकड़ा महज 23 हजार पर सिमट गया, यह इस बात का संकेत हैं कि पलामू संसदीय क्षेत्र में घूरन राम की पकड़ कापी मजबूत है, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद ने यहां से एक बार फिर से मनोज कुमार को अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया, और इधर घूरन राम बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम(पी) की सवारी कर बैठे और लेकिन आश्चर्यजनक रुप से वहां भी घूरन राम 1,56,832 मत लाने में कामयाब रहें.
2009 के लोकसभा चुनाव में धुरन राम को पटकनी दे चुके कामेश्वर बैठा
एक दूसरा चेहरा अभी हाल में झामुमो छोड़ राजद में शामिल में शामिल हुए कामेश्वर बैठा का है, याद रहे कि इसी वर्ष फरवरी महीने में जब तेजस्वी यादव का रांची आगवन हुआ था, तब कामेश्वर बैठा ने झामुमो से किनारा कर राजद का दामन थामा था, स्वाभाविक है कि उनकी नजर पलामू संसदीय सीट के लिए राजद के टिकट पर होगी, इस हालत में यदि राजद कामेश्वर बैठा को टिकट देती है तो घूरन राम के सामने एक बार फिर सियासी संकट खड़ा हो जायेगा.
छतरपुर विधान सभा से पांच पांच विधायक रहें राधा कृष्ण किशोर की दावेदारी भी मजबूत
लेकिन राजद के तरकश में एक और तीर भी है. और इस तीर को भी काफी मजबूत माना जाता है, वह तीर है पूर्व भाजपा नेता और छतरपुर विधान सभा सीट से पांच पांच बार विधायक रहे राधा कृष्ण किशोर का, यह जानना भी दिलचस्प होगा कि पांच पांच बार के विधायक रहे राधा कृष्ण किशोर के लिए राजद उनके कैरियर की पांचवी पार्टी है. दावा किया जाता है कि झारखंड के इकलौते राजद विधायक सत्यानंद भोक्ता ने उन्हे पलामू संसदीय सीट का ऑफर के साथ ही राजद ज्वाईन करवाया था, और खुद सत्यानंद भोक्ता की नजर चतरा सीट पर लगी हुई है. अब यह अलग सवाल है कि राजद के हिस्से झारखंड की 14 सीटों में कितनी सीटें मिलने वाली है. और उसके बाद भी साफ हो पायेगा कि पलामू की सियासत इस बार किस करवट बैठने वाली है.