Ranchi- विश्व आदिवासी दिवस के ठीक पहले आदिवासी जमीन की लूट करने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुए कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा है कि आदिवासी समाज के धैर्य की परीक्षा नहीं लिया जाय, यदि इसी प्रकार उनकी जमीनों को लूटा जाता रहा तो आदिवासी समाज का धैर्य जवाब दे जायेगा, और वह उग्र रवैया अपनाने को बाध्य होगा. आदिवासी समाज जल जंगल और जमीन के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता, जमीन है तो उसकी सभ्यता है, जंगल है तब ही उसकी संस्कृति है. आदिवासी दिवस सिर्फ आदिवासी समाज के लिए सिर्फ उत्सव नहीं है, यह आदिवासियों के संघर्ष और बलिदान को याद करने का दिन है, उनके अतीत और इतिहास को स्मरण करने का दिन है, आदिवासी समाज का संघर्ष को निरन्तरता प्रदान करने के लिए प्रण लेने का दिवस है.
झारखंड गठन के 22 वर्षों के बाद भी जारी है जल जंगल और जमीन की लूट
झारखंड गठन के 22 वर्षों के बाद भी आदिवासी जमीन की लूट मची है, आज कुछ बहुरुपिये भी आदिवासी जमीन को लूट से बचाने की बात कह कर रहे हैं, ये वे लोग है, जो आदिवासी समाज के साथ ही रहते हैं, जल जंगल और जमीन बचाने की बात करते हैं, लेकिन आदिवासी समाज को इन बहुरुपियों से सावधान रहने की जरुरत है. क्योँकि जल जंगल और जमीन की बात करने वाले इन बहुरुपियों की नजर हमारी जमीनों पर है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आदिवासी समाज के लिए जमीन सिर्फ एक टुकड़ा नहीं है, सभ्यता संस्कृति की धरोहर है उनकी जमीन. जल जंगल और जमीन के इर्द गिर्द ही हमारी सभ्यता और संस्कृति विस्तार लेती है, पलती-बढ़ती है, जल जंगल और जमीन के बगैर आदिवासी समाज अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता.