TNP Desk- बालासोर ट्रेन हादसा का आज पांचवा दिन है. मृतक के परिजन लाशों के बीच अपनों की तलाश कर रहे हैं, हालांकि काफी लाशें ले जायी जा चुकी है, लेकिन अभी भी 91 लाशों की पहचान बाकी है. हालत यह है कि एक ही लाश के कई-कई दावेदार सामने भी आ रहे हैं. इस विवाद को निपटाने के लिए प्रशासन कई लाशों का डीएनए टेस्ट करवाने की तैयारियों में भी जुटा है. लेकिन इस भयानक त्रासदी के बीच एक बेहद चौंकाने वाली खबर भी आयी है.
जब पिता के सामने रखी गयी उसके बेटे की लाश
हादसे के पांचवें दिन जब एक पिता को उसके जवान बेटे की लाश सौंपी गयी, तो निराश-हताश पिता अपने बेटे की लाश को सामने रख कर जार-बेजार रोने लगा. उसकी हिम्मत जवाब दे गयी, गला रुंध गया. एक बाप के सामने उसके जवान बेटे की लाश पड़ी थी, हालत यह थी कि कोई किसी को सांत्वाना देने की स्थिति में नहीं था, सबों की कहानी एक ही थी, और वह कहानी थी लाशों के ढेर में अपने-अपने स्वजनों की तलाश.
फिर हुआ चमत्कार
कुछ यही स्थिति उस वृद्ध बाप की भी थी. लेकिन इसी बीच एक चमत्कार हुआ, जिसकी उम्मीद उसके पिता ने अपने सपनों में भी नहीं की थी. दरअसल हुआ यह कि जिस लाश के सामने रख कर वह जार बेजार रोये जा रहा था, अचानक से वह लाश अपना हाथ हिलाता है. और अपने जिंदा होने की सबूत पेश करता है, बेटे की लाश के द्वारा हाथ हिलाते ही निराश पिता की चीख निकल गयी, यह चीख कोई गम का नहीं, बल्कि एक अकल्पनीय घटना को सामने देख कर निकली थी.
मृतक के हाथ हिलाते ही प्रशासन की सूची में घायलों की संख्या में एक और बढ़ोतरी हो गयी
जिसे वह अब तक लाश समझ रहा था, अभी तो उसकी सांसे चल रही थी, लाशों के ढेर के बीच जिंदा लोगों को इस तरह से फेंक देना उसकी समझ के बाहर था, आनन-फानन में उसने यह खबर वहां मौजूद अधिकारियों को दी, जिसके बाद प्रशासन की सूची में घायलों की संख्या में एक और बढ़ोतरी हो गयी.
उसके पिता ने सुनाई उस दर्दनाक लम्हे की कहानी
लाश से जिंदा बने इस युवक की पहचान बिश्वजीत मलिक के रुप में की गयी है. उसके पिता का कहना है कि दो जून को विश्वजीत चेन्नई जाने के लिए सांतरागाछी से कोरोमंडल ट्रेन पर सवार हुआ था. शाम को उसने ट्रेन का दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर दी. उसने बताया था कि वह बूरी तरह से घायल है, उस तत्काल इलाज की जरुरत है. इतना कहते ही बेहोश हो गया. उसके बाद उससे कोई बात नहीं हो सकी. इस बीच उसका इलाज हुआ या नहीं इसकी कोई जानकारी उसके पास नहीं है, लेकिन उसे सूचना दी गयी कि उसके बेटे का शव बालासोर स्कूल में बनाए मुर्दाघर में रख दिया गया है. इस बीच हम भी बालासोर पहुंचे और मुर्दाघर में अपने बेटे की लाश तलाश करने लगे. लाश मिलने के बाद उसने अपना हाथ हिलाया, जिसके बाद अब मैं उसकी चिकित्सा करवा रहा हूं.