Ranchi-पांच राज्यों का चुनाव संपन्न हो चुका है, अब तो उसके नतीजे भी आ चुके हैं, तीन राज्यों में तो भाजपा की सरकार भी बन रही है, हालांकि मतगणना के 6 दिन गुजरने के बाद आज भी इन प्रदेशों को अपने अपने सीएम का इंतजार है, और इस गुत्थी को सुलझाने में भाजपा आलाकमान को पसीना छूटता नजर आ रहा है, यदि पुराने धुरंधरों को किनारा किया तो 2024 की डगर मुश्किल हो सकती है, यदि इन्ही पुराने चेहरों पर सीएम की कुर्सी सौंप दी तो दिल्ली से जिन पहलवानों को सियासी अखाड़े में भेजा गया था उनके भविष्य के साथ क्या होगा? क्या वह सांसद की सदस्यता त्याग कर अब विधान सभा में मेज थपथपायेंगे.
चुनावी मोड से बाहर निकलने के तैयार नहीं बाबूलाल
लेकिन इन सारे सवालों से अलग झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आज भी चुनावी मोड में नजर आ रहे हैं, चुनाव प्रचार की खुमारी उनके सिर से उतरने का नाम नहीं ले रही. लगता है कि जैसे वह अभी भी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में किसी चुनावी सभा को संबोधित कर रहे हैं.
इरफान अंसारी को बताया स्लीपर सेल का एजेंट
दरअसल बाबूलाल ने कांग्रेसी विधायक इरफान स्लीपर सेल का एजेंट करार दिया है, अपने सोशल मीडिया साइट पर वह लिखते हैं कि ‘कांग्रेस के सिरफिरे विधायक, भ्रष्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अतिप्रिय इरफान अंसारी के अनुसार... अवैध रूप से भारत में आकर बसे बांग्लादेशी, घुसपैठिए नहीं है. यह एक जनप्रतिनिधि का नहीं बल्कि स्लीपर सेल के एजेंट का बयान लगता है! पूरा देश देख रहा है झारखंड में राज्य सरकार के संरक्षण में बांग्लादेशी नागरिकों को सुनियोजित तरीके से बसा कर आदिवासियों को समाप्त करने का षडयंत्र रचा जा रहा है l जगह जगह कैंप लगाकर जाली दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं l आदिवासी बेटियों को लव जिहाद में फंसाकर जमीनें हड़पी जा रहीं हैं. जिहादी मानसिकता को बढ़ावा देने वाले इस विधायक के बयानों का और इनके सरपरस्तों की गहन जांच होनी चाहिए”
हाईकोर्ट में चल रही है मामले की सुनवाई
अब बाबूलाल के इस बयान को चुनावी बयान नहीं तो क्या माना जाए, यदि बाबूलाल को लगता है कि उनका खुद का दावा सत्य है तो वह इसकी शिकायत गृह मंत्रालय से क्यों नहीं करते, राज्य सरकार को पहले भी कई बार कह चुकी है सीमाओं की रक्षा करना हमारी जिम्मेवारी नहीं, यह केन्द्र और गृह विभाग का मामला है, अभी हाल में ही झारखंड हाईकोर्ट ने इस बारे में राज्य सरकार और केन्द्र सरकार से इस बात का जवाब मांगा था कि किसी को भी घुसपैठिया साबित करने का पैमाना क्या होगा, क्या राज्य और केन्द्र सरकार के पास इसका कोई पैमाना है. हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों से ही हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
दांव पर राजनीतिक शिष्टाचार
अब इस पृष्ठभूमि में मामले को समझने की कोशिश करें तो बाबूलाल का यह बयान भले ही सोशल मीडिया पर दिया गया हो, लेकिन अपनी प्रकृति में यह विशुद्ध चुनावी बयान नजर आता है, अब देखना होगा कि उनके इस बयान पर कांग्रेस और झामुमो की क्या प्रतिक्रिया आती है, लेकिन इतना जो जरुर कहा जा सकता है कि बाबूलाल को इस तरह के बयान से बचना चाहिए था, इरफान अंसारी जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि है, यदि आज उनके सम्मान पर उंगली उठायी जाती है, तो कल यह सब बाबूलाल को भी देखने को मिल सकता है. और इस तकरार में और कुछ हो या ना हो राजनीति का शिष्टाचार जरुर दांव पर लगा नजर आयेगा.