Ranchi- हेमंत सरकार के उपर दस हजार करोड़ के घोटले का आरोप लगा बाबूलाल अपने ही बुने जाल में फंसते नजर आने लगे हैं. हजारीबाग से हेमंत सरकार के उपर घोटाले का तीर छोड़ते समय बाबूलाल को यह एहसास भी नहीं रहा होगा कि यह आरोप उनके ही गले की हड्डी बनने वाली है, जैसे ही यह आरोप सामने आया, झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मोर्चा संभाल लिया.
36 महीने बित गये छह विधायकों को आज भी जमीर की राशि का इंतजार
सुप्रियो ने बाबूलाल की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करते हुए एक ऑडियो क्लिप जारी किया, इस ऑडियो क्लिप में बाबूलाल तात्कालीन सीएम रघुवर दास, दीपक प्रकाश, अनन्त ओझा के उपर अपने विधायकों की खरीद के लिए करोड़ों रुपये का सौदा करने का सनसनीखेज आरोप लगा रहे हैं, उनका दावा था कि पार्टी तोड़ने लिए रघुवर दास, दीपक प्रकाश, अनन्त ओझा की इस भाजपाई तिकड़ी ने उनके विधायकों को करोड़ों रुपये का सौगात दिया था, एक बड़ी राशि इन विधायकों को अभी प्रदान किया गया है, जबकि शेष राशि दल बदल के 36 महीनों के बाद देने के वादा किया गया है.
बाबूलाल खुद ही भाजपा अध्यक्ष, अब तो विधायकों से किया गया वादा को पूरा करें
अब इस ऑडियो क्लिप जारी करते हुए सुप्रियो ने पूछा है कि अब तो बाबूलाल खुद ही उस भाजपा के अध्यक्ष हैं, जिस भाजपा ने उनके विधायकों के जमीर का सौदा किया था. अब तो उन्हे रणधीर कुमार सिंह, अमर कुमार बाउरी, जानकी प्रसाद यादव, गणेश गंझू, आलोक कुमार चौरसिया, नवील जायसवाल को जमीर के सौदे की उस शेष राशि को दिलवा देना चाहिए. क्योंकि आज वह भी उसी भाजपा के साथ खड़े हैं, जहां पहले उनके विधायक गये थें. विधायकों ने शुरुआत की, और खेल की समाप्ति बाबूलाल की भाजपा वापसी के साथ हुई, वह कुतुबमीनार आज भी उनकी प्रतीक्षा कर रहा हैं, जहां से वह लम्बी छलांग लगाने वाले थें. लेकिन छलांग लगाने से पहले बाबूलाल की यह नैतिक जिम्मेवारी बनती है कि वह अपने पुराने सहयोगियों को उनके हिस्से की राशि वापस दिलवा दें.
जब जोड़ तोड़ कर बची थी रघुवर की सरकार, तिजोरी के बल पर विधायकों को खरीदने के लगे थे आरोप
यहां यह याद दिला दें वर्ष 2014 के विधान सभा चुनाव में झावीमो को कुल आठ सीटें आयी थी, लेकिन वर्ष 2015 आते आते झावीमो के 8 में से 6 विधायक रणधीर कुमार सिंह, अमर कुमार बाउरी, जानकी प्रसाद यादव, गणेश गंझू, आलोक कुमार चौरसिया, नवील जायसवाल ने झावीमो को अलविदा कर भाजपा का दामन थाम लिया. इस दल बदल के रघुवर दास की सरकार किसी प्रकार से बचाया जा सका. क्योंकि तब भाजपा के पास महज 37 विधायक ही बचे थें, जो बहुमत के लिए जरुर जादुई आंकड़ें के 42 से पांच कम होता था. आजसू के चार विधायकों से भी रघुवर दास की सरकरा बचती नजर नहीं आ रही थी. तब भाजपा ने बड़े ही यत्न इन विधायकों को अपने पाले में ला खड़ा किया था. और जोड़ तोड़ से रघुवर दास की सरकार को बचा ली गयी थी और बाबूलाल बिलख बिलख कर रघुवर दास पर तिजोरी के बल पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगा रहे थें.
आज भी बाबूलाल को रात में नींद नहीं आती
हेमंत सरकार में घोटले का प्रतिकार करते हुए सुप्रियो ने कहा कि बाबूलाल को रात में नींद नहीं आती है, आज भी रघुवर दास के द्वारा उनके छह विधायकों को तोड़े जाने का दर्द उन्हे सहला रहा रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आज बाबूलाल खुद उसी भाजपा के अध्यक्ष हैं, जिस पार्टी ने उनके विधायकों को पैसे की ताकत के बल पर तोड़ा था, 36 महीने कब बित गये, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते अब यह बाबूलाल की जिम्मेवारी बनती है कि वह अपने पुराने सहयोगियों को उनकी उस राशि को प्रदान करें, जिसके राशि के बदले में उनके विधायकों ने अपना जमीर बेचा था.