रांची(RANCHI) बरियातू स्थित सेना की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बिक्री किये जाने की खबर भले ही आज अखबारों की सुर्खियां हो, लेकिन भू माफियाओं का यह आतंक सिर्फ राजधानी रांची में ही नहीं पसरा है, झारखंड के हर गांव कस्बे की कमोबेश यही स्थिति है. हर अंचल कार्यालय में भू माफियाओं का बसेरा है. उनकी इजाजत के बगैर अंचल कार्यालयों की एक फाइल नहीं हिलती, और वे जब चाहे किसी भी जमीन को किसे के नाम करवा सकते हैं. उनके लिए जमीन की प्रकृति कोई मायने नहीं रखती, मायने रखता है तो सिर्फ उसका चढ़ावा, जमीन गैरमजरूआ हो या वन भूमि, अधिग्रहित हो या छप्परबन्दी, भूदान की हो या केसरे हिन्द की, गोचर हो या अगोचर, ये सारे सरदर्द सिर्फ आम लोगों के हिस्से में है.
हजारों एकड़ जमीन का उड़ चुका है खतियान
इन भू माफियाओं ने राजधानी रांची में ही हजारों एकड़ जमीन का खतियान उड़ा दिया है, पंजी-2 के साथ छेड़छाड़ कर उसकी प्रकृति बदल दी गयी है, और यह सब कुछ कोई साल दो साल की बात नहीं है, झाऱखंड गठन होते ही भू माफियाओं की पहली नजर यहां के जल जंगल और जमीन पर पड़ी और शुरु हो गया जमीन लूट का यह संगठित अपराध और इस संगठित अपराध में अंचल कार्यालय से लेकर बड़े अधिकारियों की भी संलिप्ता है.
हुसैनाबाद नगर पंचायत में लूट ली गयी हजारों एकड़ जमीन
इसी तरह के एक मामले को हुसैनाबाद विधायक कमलेश सिंह ने विधान सभा में उठाया था. उनका दावा था कि हुसैनाबाद अंचल कार्यालय में मात्र एक दिन में 1956 से 2023 तक का मोटेशन कर राजस्व रसीद काट दिया गया. स्थानीय ग्रामीण और विधायक के द्वारा काफी हंगामा मचाया गया, लेकिन भूमाफियाओं के आगे किसी की नहीं चली. कमलेश सिंह बताते हैं कि हुसैनाबाद में वर्ष 1989 से 1992 के बीच एक अपर समाहर्ता के द्वारा यहां की एक-एक इंच गैरमजरुआ जमीन को स्थानीय रसूखदारों, सरकारी कर्मचारियों, जमींदारों और अधिकारियों के नाम बदोबस्त कर दिया गया.
नगर पंचायत के आस-पास की गैरमजरुआ जमीन को भी रसूखदारों के नाम बंदोवस्त किया गया
जिस बिल्डिंग में आज हुसैनाबाद का नगर पंचायत कार्यालय का संचालन किया जा रहा है, भूमाफियाओं और सरकारी अधिकारियों के द्वारा उसे भी नहीं छोड़ा गया, उसके आस पास की सारी गैरमजरुआ जमीन को रसूखदारों के नाम बंदोवस्त कर दिया गया. भू माफियाओं ने अस्पताल और स्कूल की जमीन को भी नहीं छोड़ा. सारे विरोध के बावजूद आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. इस सबसे अलग हुसैनाबाद और पलामू के आम लोगों की समस्या कुछ और ही है, भूमि सर्वे में हजारों त्रुटियां है, और बगैर चढ़ावा चढ़ाये कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं. उन्हे अपनी ही जमीन पर अपनी दावेदारी को सिद्घ करने के लिए इन अंचल कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ रहा है, लेकिन अंचल कर्मियों के द्वारा ही उन्हे किसी भू माफिया से सम्पर्क करने की सलाह दी जा रही है.