Ranchi- सेना जमीन घोटाले की परतें ज्यों-ज्यों खुल रही है, हर दिन राजधानी रांची में भू माफियाओं से जुड़े एक से बढ़कर एक कारनामें सामने आने का सिलसिला जारी है. ताजा मामले में निलंबित आईएस छवि रंजन का खासमखास और रिम्स रांची में रेडियोग्राफर के पद पर तैनात अफसर अली उर्फ अफ्सू खान के खुलासे हैं. ईडी से अपनी पूछताछ में उसने यह स्वीकार किया है कि यों तो वह रिम्स रांची में रेडियोग्राफर के पैद पर तैनात था, एक रेडियोग्राफर के रुप में उसकी जिम्मेवारी मरीजों का एक्स-रे करना था, लेकिन छवि रंजन और भू माफियाओं की संगति के बाद वह इस पेशे से दूर होता चला गया, मरीजों के एक्स-रे करने के बजाय अब उसे जमीनों का एक्स-रे करने में मजा आने लगा था. उसने दावा किया है कि सेना की जमीन तो महज एक बानगी है, अब तक उसने करीबन 142 एकड़ जमीन का एक्स-रे किया है, यानि इन जमीनों का फर्जी दस्तावेज तैयार कर चुका है. ये सारे जमीन गाड़ी मौजा, भिट्ठा, बोड़ेया, बूटी, कोकर, बड़गाईं, नेवरी, संग्रामपुर, बरियातू और दुबलिया मौजा में है.
फर्जी डीड तैयार करने का मास्टर था रेडियोग्राफर अफसर अली
उसका दावा है कि किसी भी जमीन का फर्जी डीड तैयार करना उसके लिए चुटकियों का खेल भर है, इधर वह जमीन का फर्जी डीड तैयार करता, उधर गिरोह के दूसरे सदस्य उसकी बिक्री करने में जुट जाते, किसी प्रकार की समस्या आने पर छवि रंजन का एक फोन ही काफी था. सब कुछ एक सिस्टम के तहत चल रहा था, कहीं कोई समस्या नहीं हो रही थी. अफसर अली के इस खुलासे के बाद ईडी अधिकारी भी हैरत में है. महज पांच एकड़ सेना की जमीन से शुरु हुई यह जांच, अब साफ-साफ 142 एकड़ की ओर बढ़ता दिख रहा है.
पांच एकड़ सेना की जमीन से 142 एकड़ की ओर बढ़ता दिख रहा है यह जांच
सूत्रों का दावा है कि यदि इसी रफ्तार में ईडी जांच करती गई तो कुछ ही महीनों में यह आंकड़ा कितना बड़ा होगा, आज के दिन इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है, क्योंकि इन जालसाजों के द्वारा सिर्फ जनरल जमीनों का ही फर्जी डीड तैयार नहीं किया है, बल्कि बड़े पैमाने पर आदिवासी जमीन का नेचर बदल भी उसकी बिक्री की गयी थी.