रांची(RANCHI)- सेना जमीन घोटाले में ईडी की रफ्तार जिस तेजी से बढ़ रही है, जिस प्रकार एक के बाद इस घोटाले से जुड़े लोगों की गिरफ्तारियां हो रही है, छवि रंजन, अंचल कर्मी भानूप्रताप, रिम्स कर्मी अफसर अली, और भूमाफिया प्रदीप बागची के साथ कई और आरोपियों से लम्बी पूछताछ की जा चुकी है. और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राजधानी रांची का एक प्रमुख कारोबारी विष्णु अग्रवाल की गिरफ्तारी भी हो सकती है.
विष्णु अग्रवाल को देना होगा एक- एक सवालों का जवाब
हालांकि विष्णु अग्रवाल को ईडी की ओर से समन भी गया था, लेकिन उसके द्वारा स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पूछताछ के लिए कुछ समय देने की मांग की गयी थी, जिसके बाद उन्हे कुछ मोहलत प्रदान कर दी गयी है. लेकिन यह मोहलत स्थायी नहीं है, बहुत ही जल्द उन्हे ईडी के सवालों का जवाब देना ही होगा, इस बीच ईडी छवि रंजन सहित दूसरे सभी आरोपियों से पूछताछ सम्पन्न कर चुकी होगी, उसके पास सवालों का लम्बा फेहरिस्त होगा. जिसके एक-एक सवालों का सामना विष्णु अग्रवाल को करना होगा.
महज नौ वर्ष पहले रोजी रोटी की तलाश में रांची आया था विष्णु अग्रवाल
याद रहे कि आज से महज आठ नौ वर्ष पहले रोजी-रोटी की तलाश में बंगाल के पूर्लिया जिले से रांची आये विष्णु अग्रवाल आज शहर की प्रमुख हस्ती है, राजधानी रांची में उसका करोड़ों का साम्राज्य है, सर्कुलर रोड और कांके रोड में उसका आलिशान न्यूक्लियस मॉल है. माना जाता है कि यह मॉल भले ही विष्णु अग्रवाल के नाम पर हो, लेकिन इसमें लगा पैसा राजनेताओँ और बड़े अधिकारियों का हैं, विवाद इसकी जमीन पर भी, दावा किया जाता है कि इसका निर्माण एक विवादित जमीन पर करवाया गया है.
विष्णु अग्रवाल यानी मनी लॉन्ड्रिंग का मशीन
दावा किया जाता है कि विष्णु अग्रवाल को झारखंड में मनी लॉन्ड्रिंग का मशीन है. राजनेता हो या बड़े-बड़े अधिकारी इनकी काली कमाई को सफेद करने की जिम्मेवारी विष्णु अग्रवाल के कंधों पर ही होती है. यही कारण है कि हालिया कुछ वर्षों में इसकी संपत्ति में काफी उछाल आया है, न्यूक्लियस मॉल के अलावे जिम खाना कल्ब और कांके में आलिशान होटल भी है. इसके साथ ही शहर के पॉश इलाकों में कई खाली प्लौट और फ्लैट हैं.
झारखंड के बाहर भी फैला है विशाल साम्राज्य
दावा यह भी किया जाता है कि विष्णु अग्रवाल का यह विशाल साम्राज्य सिर्फ राजधानी रांची में ही नहीं पसरा है, राजधानी के बाहर भी दूसरे राज्यों में भी इसका करोड़ों का निवेश है, बंगाल में एक बोरा फैक्ट्री होने की भी चर्चा है. कुल मिलाकर 500 करोड़ से अधिक का साम्राज्य खड़ा करने वाला यह शख्स कभी रोजी रोटी की तलाश में खाली हाथ रांची आया था और यहां कुछ दिनों के संघर्ष और ग़ुरबत में बिताने के बाद अचानक से इसकी जिंदगी ने एक करवट ली और सब कुछ इसकी मुट्ठी में कैद होता गया.
इस विशाल साम्राज्य का महज चेहरा है विष्णु अग्रवाल
सूत्रों का दावा है कि इस पूरे साम्राज्य का सिर्फ चेहरा है विष्णु अग्रवाल, इसके पीछे का खिलाड़ी कोई और है, विष्णु अग्रवाल के इस विशाल साम्राज्य का एक बड़ा हिस्सा उसी राजनेता की काली कमाई का निवेश भर है. यही कारण है कि विष्णु अग्रवाल को झारखंड में मनी लॉन्ड्रिंग का मशीन होने का दावा किया जाता है.
विष्णु अग्रवाल की सफलता का राज
दावा यह भी किया जाता है कि इस विशाल साम्राज्य में उस राजनेता के साथ ही दूसरे कई राजनेताओं और अधिकारियों का बड़ा निवेश है, लेकिन विष्णु अग्रवाल की एक बड़ी खूबी है यह कि इसकी जानकारी वह कभी भी अपने दूसरे निवेशकर्ताओं को नहीं देता. एक निवेशकर्ता के सामने दूसरे निवेशकर्ता की गोपनीयता बनाये रखने की जो कला विष्णु अग्रवाल के पास है, वही उसकी सफलता राज है.
कौन है वह मूलवासी राजनीति का सितारा? जिसकी हो सकती है अब तलाश
अब मूल प्रश्न यह है कि वह राजनेता कौन है? आदिवासी मूलवासी राजनीति का वह चमकता चेहरा कौन है? जिसकी काली कमाई के सहारे विष्णु अग्रवाल एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ता चला गया. जिसकी काली कमाई को सफेद करने की जिम्मेवारी विष्णु अग्रवाल ने अपने कंधों पर ली थी, और आज तक उस जिम्मेवारी को बखूबी और बेहद इमानदारी से निर्वाह किया.
क्योंकि दूसरे निवेशक तो बाद में आयें, या अब आ रहे हैं, लेकिन जब विष्णु अग्रवाल अपनी फटेहाली का दिन काट रहा था, तब किस राजनेता की उस पर नजर पड़ी और जिसकी कृपा दृष्टि पड़ते ही उसके राहु केतु की दशा और दिशा बदल गयी. सूत्रों का दावा है कि वह सफेदपोश आज की राजनीति का बेहद चमकता सितारा है, शायद आज नहीं तो कल ईडी को उस कड़ी की भी तलाश होगी. देखना होगा कि ईडी को इसमें कितनी कामयाबी मिलती है, क्योंकि यह पूरा मामला अब कहीं ना कहीं ईडी के इकबाल से भी जुड़ा गया है.और लोगों की उम्मीद ई़डी के इसी इकबाल पर टंगी हुई है. देखना होगा लोगों की आकांक्षाएं कितनी पूरी होती है,