टीएनपी डेस्क(TNP DESK)-पिछले तीन महीनों से दो समुदायों की बीच जारी हिंसा की चपेट में जल रहे मणिपुर में शांति बहाली के प्रयास के अमेरिका ने अपनी मदद का भरोसा दिलाया है. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि हम इस बात को जानते हैं कि यह भारत का आंतरिक मामला है, बावजूद इसके यदि भारत हमसे मदद की मांग करता है तो हम इसके लिए सहर्ष तैयार है.
अमेरिकी राजदूत का बयान, मणिपुर में बच्चों की हो रही है मौत
कोलकता में एक कार्यक्रम के दौरान एरिक गार्सेटी कहा कि मणिपुर में जिस तरह से लोग हिंसा की भेंट चढ़ रहे हैं, बच्चे और महिलाओं की मौत हो रही है. नागरिकों को अपनी जिंदगी गवांनी पड़ रही है. इसका हमें दुख है, मणिपुर में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर दुख प्रकट करने के लिए भारतीय होना जरुरी नहीं है. हमारी मंशा इस हिंसा को समाप्त करने की है. हम कोई रणनीति चिंता प्रकट नहीं कर रहे हैं. सिर्फ इस हिंसा पर रोक लगाने की बात कर रहे हैं.
लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हिफाजत मुश्किल काम
गार्सेटी ने ये भी कहा है कि भारत के नॉर्थ-ईस्ट में पिछले कुछ सालों में काफी तरक्की हुई है. लेकिन इस हिंसा से वह तरक्की प्रभावित हो रही है, तरक्की लिए शांति पहली शर्त है. इसी से विकास का राह खुलता है. अगर मणिपुर में हिंसा पर विराम लग जाता है, शांति स्थापित हो जाती है तो हम वहां निवेश करने को तैयार हैं. हमारे पास कई प्रोजक्टस हैं, जिसे हम वहां स्थापित कर सकते हैं. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए एरिक गार्सेटी ने कहा कि लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हिफाजत करना काफी मुश्किल काम है.
कांग्रेस का हमलावर तेवर, कहा दखलअंदाजी बर्दास्त नहीं
एरिक गार्सेटी की ओर से पेश की गयी इस शांति की पहल पर भारत में बवाल खड़ा होता दिख रहा है, एरिक गार्सेटी को निशाने पर लेते हुए कांग्रेस ने कहा कि हमें अपने आंतरिक मामलों में किसी का भी दखलअंदाजी बर्दास्त नहीं है. इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से मोर्चा खोलते हुए कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि अमेरिका को ज्ञान देने के पहले अपने गन कल्चर पर विचार करना चाहिए, इस गन कल्चर में वहां कई लोग जान गंवा चुके हैं, नस्लीय दंगा आम बात है, लेकिन हमने तो कभी उनके आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं किया.
मनीष तिवारी ने कहा कि यह एक सच्चाई है कि आज का भारत कई चुनौतियां से घिरा है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं की है कोई हमारे मामलों में हस्तक्षेप की कोशिश करे. नए राजदूत को भारत-अमेरिका के रिश्तों के इतिहास की जानकारी रखनी चाहिए.