Ranchi- हालांकि डुमरी विधान सभा उपचुनाव में झामुमो ने 17 हजार से अधिक मतों से विजय पताका फहराने में सफलता प्राप्त कर ली. लेकिन जिस प्रकार से पहले ही राउंड से आजसू उम्मीदवार यशोदा देवी ने लीड बनाने की शुरुआत की और लगभग 14वें राउंड तक वह लगातार लीड बनाते चली गयी, उससे साफ हो गया कि यदि झामुमो को अल्पसंख्यक मतदाताओं का साथ नहीं मिला होता और ओवैसी का जलबा नाकामयाब नहीं होता तो यह जीत हाथ से निकलने ही वाली थी.
खतरा भांप मोर्चे पर हफीजुल अंसारी को किया गया था तैनात
अन्दरखाने खबर यह है कि झामुमो को पहले ही इस खतरे का एहसास हो चुका था कि ओवैसी का जलबा चलते ही यह सीट उनके हाथ से निकल सकती है और इसी की काट के लिए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल अंसारी को मोर्चे पर लगाया गया था, सीएम हेमंत का संकेत मिलते ही हफीजुल अंसारी मोर्चे पर तैनात हो गयें और पूरे डुमरी विधान सभा को खंगाल डाला, मोटरसाइकिल पर सवार होकर एक-एक दरवाजे पर दस्तक दिया, अल्पसंख्यक मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश की, कि भले ही राष्ट्रीय राजनीति में ओवैसी एक बड़ा चेहरा हो, लेकिन खुद हैदराबाद की राजनीति में वह हाशिये पर खड़े हैं, वहां उनका कोई वजूद नहीं है, उनके बहकावे में मतदान करना का मतलब भाजपा के लिए रास्ता साफ करना, क्योंकि आप तमाम कोशिश कर भी ओवैसी को जीताने की स्थिति में नहीं आ सकतें. इस प्रकार आप का वोट बर्बाद होना तय है और भाजपा यही चाहती है. लेकिन इस दरम्यान यह भी साफ हो गया कि अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच सरकार के प्रति काफी नाराजगी है, जिसकी काट के लिए चुनाव के बाद कई नयी योजनाओं की शुरुआत का वादा किया गया. और इसका नतीजा सामने आया, जिस ओवैसी को पिछले विधान चुनाव में डुमरी में बगैर किसी प्रचार के 26 हजार मत मिले थें, इस बार ओवैसी की सभा के बावजूद वह महज तीन हजार के आसपास सिमट गयी, और यही से झामुमो की जीत का रास्ता साफ हुआ.
दावा किया जाता है कि कांग्रेसी नेता और धनबाद की राजनीति का एक बड़ा चेहरा शमशेर आलम को अल्पसंख्यक आयोग का उपाध्यक्ष बनाना, इसी रणनीति का हिस्सा है, उनके पास तीन दशकों की राजनीति का व्यापक अनुभव है, इसके पहले वह खनिज आयोग के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं, साथ ही झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ एम तौसीफ एवं वारिस कुरैशी को भी इसका सदस्य बनाया गया है.
काफी अर्से से नाराज चल रहे थें शमशेर आलम
ध्यान रहे कि शमशेर आलम काफी अर्से से नाराज चल रहे थें, उन्होंने रामगढ़ विधान सभा में कांग्रेस की हार के लिए सीधे-सीधे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर को जिम्मेवार बताया था. उनका दावा था कि अल्पसंख्यक मतदाताओं की नाराजगी के कारण कांग्रेस को रामगढ़ में हार का सामना करना पड़ा, और यदि अल्पसंख्यक मतदाताओं की नाराजगी को दूर नहीं किया तो कांग्रेस झामुमो गठबंधन को आगे भी इसका नुकसान झेलना पड़ा सकता है.
अल्पसंख्यक मतदाताओं को नाराजगी को दूर करने की राह पर चल पड़ी हेमंत सरकार
यह अलग बात है कि आज जैसे ही उन्हे अल्पसंख्यक आयोग का उपाध्यक्ष बनाने की खबर आयी वह गुलदस्ता लेकर राजेश ठाकुर के पास गये और उन्हे अपना आभार व्यक्त किया, लेकिन इतना साफ है कि हेमंत सरकार रामगढ़ उपचुनाव से सबक लेते हुए अल्पसंख्यक मतदाताओं की नाराजगी को दूर करने की राह पर चल पड़ी है और आने वाले दिनों में अल्पसंख्यक मतदाताओं को निशाने पर लेते हुए कई कार्यक्रमों की शुरुआत की जा सकती है.