Ranchi- राज्य में कानून व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी को ध्वस्त होने का हवाला देते हुए पूर्व सीएम बाबूलाल ने राज्यपाल को पत्र लिखकर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. अपने पत्र में बाबूलाल ने इस बात का दावा किया है कि राज्य सरकार वैसे भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का काम काम करी है, जिनके विरुद्ध ईडी और दूसरी संस्थाओं के द्वारा कार्रवाई की मांग की गयी है. जिनका पूरा काला चिट्ठा राज्य सरकार को सौंपा जा चुका हैं.
भेड़ियों की झुंड के बाद एक और सियासी बवाल
ध्यान रहे कि कल जैसे ही सीएम हेमंत ने भाजपा को भेड़ियों का झुंड करार देते हुए इस बात का दावा किया था कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री इन भेड़ियों के झुंड के सामने अकेले खड़ा मुकाबला कर रहा हैं. उनके घात-प्रतिघात का सामना कर रहा है, उनके एक-एक सियासी तिकड़मों का पर्दाभाश कर रहा है और अपने जीवन का एक-एक क्षण आदिवासी-मूलवासियों के हितों की हिफाजत में न्योछावर कर रहा है.
भाजपा खेमें से हुई थी जबरदस्त प्रतिक्रिया
भाजपा खेमें में इसकी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई थी. सीएम हेमंत के बयान का काउंटर करते हुए भाजपा ने कहा था कि एक मुख्यमंत्री को इस तरह की शब्दावलियों से परहेज करना चाहिए, वह सीएम हैं, विपक्ष को निशाने पर लेने को स्वतंत्र हैं, यह उनका सियासी हक है, लेकिन एक सियासी पार्टी के कार्यकर्ताओं की तुलना भेड़ियों से करना, कहीं से भी शोभा नहीं देता, यह बयान पूरी तरह से उनकी अपरिपक्वता और सियासी हताशा का परिचायक है.
भेड़ियों के झुंड के बाद अब राष्ट्रपति शासन पर चढ़ा सियासी पारा
अभी वह विवाद समाप्त भी नहीं हुआ था कि बाबूलाल ने राष्ट्रपति शासन की मांग कर एक नया विवाद तेज कर दिया है. यहां यह भी ध्यान रहे कि बाबूलाल के द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने की यह पहली मांग नहीं है. इसके पहले भी गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में वह यह मांग उठा चुके हैं. लेकिन अब राज्यपाल को पत्र लिख कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई है. जैसे ही यह पत्र सामने आया, सूबे का की राजनीति का पारा हाई हो गया.
अपनी संकल्प यात्रा से सीएम हेमंत पर निशाना साधते रहे हैं बाबूलाल
ध्यान रहे कि बाबूलाल इन दिनों अपनी संकल्प यात्रा पर हैं, इस दौरान वह बार बार राज्य की हेमंत सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं. अपने ताजातरीन हमले में उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लिखा है कि “हेमंत सोरेन की सरकार ने बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता का ख्वाब दिखलाया था, लेकिन वह ख्वाब महज नींद खुलने तक ही सीमित था. चार वर्ष बीत गए, युवा सिर्फ हक की लाठियां और झूठी तसल्लियां खा रहे हैं, पर अब वक्त आ चुका है, युवा अपने अधिकारों के लिए आपकी जमानत तक जब्त करवाने को तैयार हैं. झूठी तसल्ली बहुत हुई, अब होगा आगाज परिवर्तन का, अपने हक के लिए खड़े होने का ,ये सरकार बदलने का,ख्वाब को नींद से जगाने का है.