टीएनपी डेस्क (TNP DESK)- हिंडनवर्ग रिपोर्ट के बाद गोता लगाते अडाणी समूह को एक और बड़ा झटका आर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट्स (OCCRP) ने दिया है, जैसे ही दुनिया के चर्चित अखबार गार्डियन और फाइनेंशियल टाइम्स में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई अडाणी समूह के शेयरों में एक बार फिर से गिरावट का दौर शुरु हो गया. ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स (Bloomberg Billionaires Index) के दावे के अनुसार OCCRP की रिपोर्ट प्रकाशित होने के महज 24 घंटे के अन्दर-अन्दर अडाणी समूह की परिसंपत्तियों में करीबन 18,600 करोड़ रुपये की गिरावट देखी गयी.
भारत से कालाधन बाहर ले जाकर फिर अडाणी समूह में निवेश का दावा
रिपोर्ट में इस बात का दावा है कि पूरी दुनिया में टैक्स हैवन के रुप में पहचान स्थापित कर चुके मॉरीशस फंड के जरिये अडाणी समूह की कंपनियों में सैकड़ों मिलियन डॉलर का गुप्त और अपारदर्शी निवेश किया, लेकिन इससे भी चौंकने वाली खबर यह है कि यह सैकड़ों मिलियन की राशि पहले भारत से मॉरीशस पहुंचा और फिर यह मॉरीशस फंड के जरिये अडाणी समूह की कंपनियों में निवेश किया गया. मनिलांड्रिग के इस खेल का सबसे बड़े किरदार के रुप में गौतम अडाणी का भाई विनोद अडाणी का नाम सामने आ रहा है, बताया जा रहा है कि यह पैसा भारत के ही किसी किसी बड़े उद्योगपति का है, पहले इस विशाल काली कमाई को मनिलांड्रिग के माध्यम से मॉरिशस भेजा गया और फिर उसे वहां से अडाणी समूह की कंपनियों में निवेश किया गया.
साइप्रस और चीनी नागरिकों के द्वारा रचा गया यह पूरा खेल
यहां बता दें कि विनोद अडाणी भारत नहीं बल्कि साइप्रस के नागरिक नहीं है और यही कारण है कि इस पूरे मामले को भारत की सुरक्षा को गंभीर खतरे के बतौर देखा जा रहा है. कल मुम्बई में इंडिया गठबंधन की बैठक के पहले राहुल गांधी ने उस रिपोर्ट के आधार पीएम मोदी से यह सवाल दागा कि यह विशाल राशि किस धन कुबेर की है, उससे आपका रिश्ता क्या है. आखिर पूरी मोदी सरकार अडाणी समूह को क्लीन चिट देने में क्यों लगी हुई है, इस पूरे मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करवाने में मोदी सरकार को आपत्ति क्यों हैं? आखिर राष्ट्रीय सुरक्षा के इस गंभीर खतरे के प्रति मोदी सरकार आंख क्यों मुंद रहा है.
दुबई स्थित कंपनी से खेला जा रहा है खेल
दावा किया जा रहा है कि विदेशी नागरिकों के द्वारा यह पूरा खेल दुबई से खेला जा रहा है, और जिस कंपनी के द्वारा यह निवेश किया गया है कि उसे गौतम अडाणी का विदेशी भाई विनोद अडाणी के एक कर्मचारी के द्वारा संचालित किया जाता है.
अब इस निवेश पर सवाल खड़ा करते हुए राहुल गांधी यह सवाल खड़ा कर रहे हैं कि भारत के आधारभूत ढांचे में यह निवेश चीनी और साईप्रस के नागरिक के द्वारा किया जाना हमारी सुरक्षा को एक गंभीर खतरा है. राहुल गांधी यह प्रश्न खड़ा कर रहे हैं कि आख़िर ये पैसा अदाणी का है या किसी और का? इन विदेशी लोगों को भारत के बुनियादी ढांचे निवेश की अनुमति कैसे दी जा रही है? राहुल गांधी इस मामले में पीएम मोदी की भूमिका की इशारा करते हुए पूरे मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठन करने की मांग कर रहे हैं.
सोशल मीडिया के दौर में इस सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता
साफ है कि आने वाले दिनों में यह मामला एक बार फिर से गरमाने वाला है, और संसद के विशेष सत्र में भी इसकी अनुगूंज सुनने को मिल सकती है. हालांकि भारतीय मीडिया इस खबर को लेकर कोई उत्सुकता दिखलायी नहीं पड़ती, लेकिन यह नहीं भूला जाना चाहिए कि आज का दौर सोशल मीडिया का है, और अब सच्चाई की खोज राष्ट्रीय मीडिया में नहीं कर सोशल मीडिया में की जा रही है.