रांची(RANCHI)-काफी दिनों से ईडी के अधिकारियों के साथ लुकाछिपी का खेल खेलते रांची के पूर्व डीसी और वर्तमान में समाज कल्याण विभाग के निदेशक का कार्यभार संभाल रहे आईएएस छवि रंजन को आखिरकार लम्बी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया.
काम नहीं आया संभावित प्रश्नों की प्रश्नोतरी
याद रहे कि छवि रंजन की कोशिश किसी भी बहाने ईडी कार्यालय आने से बचने की थी, यही कारण है कि बार-बार की नोटिस और समन जारी किये जाने के बावजूद भी उनके द्वारा एक के बाद एक बहाने बनाये जा रहे थें और यह स्थिति तब थी, जबकि उनके द्वारा पहले से ही ईडी के संभावित प्रश्नों की प्रश्नोतरी तैयार की जा रही थी.
देश का पहला मामला, जब छापेमारी से पहले सवालों का जवाब ढूढ़ा जा रहा था
शायद यह पूरे देश का पहला मामला हो, जब किसी आईएएस अधिकारी के द्वारा ईडी के बुलावे के पहले ही संभावित प्रश्नों की रुप रेखा तैयार की जा रही हो, उन प्रश्नों को हल करने की कोशिश की जा रही हो, लेकिन आखिरकार कुछ काम नहीं आया और उन्हे बिरसा केन्द्रीय कारागार के लिए रवाना कर दिया गया. अब देखना होगा कि सेना जमीन घोटाले के तार अभी कितने दूर जाते हैं, क्योंकि इसके बाद रिमांड की मांग होगी और उसके बाद अभी कई राज सामने आयेंगे.
बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार में एक बाद एक शिफ्ट होते आईएएस अफसर
याद रहे कि बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार की शोभा बढ़ाने वाले यह पहले आईएएस नहीं है, इनके पहले ही वहां राज्य की पूर्व खनन सचिव पूजा सिंघल मौजूद हैं. सेना जमीन घोटाले के विपरित उन पर खूंटी जिले का डीसी रहते मनरेगा घोटाला करने का आरोप है. पिछले वर्ष इसी मई के महीने की छह तारीख को ईडी के द्वारा पूजा सिंघल से जुड़े दर्जनों ठिकानों पर छापेमारी की गयी थी, जिसके बाद 11 मई को उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया था. इनके ठिकाने से ईडी को करीबन 19.31 करोड़ की राशि हाथ लगी थी. हालांकि इनके विरोध में जो आरोप पत्र दायर किया गया है, उसमें इनके विरुद्ध मात्र 1.30 करोड़ रुपये का मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है.
निशाने पर साहेबगंज डीसी रामनिवास यादव
लेकिन झारखंड में ईडी के निशाने पर आईएएस अधिकारियों की कहानी यहीं खत्म नहीं होती. इसमें एक नाम साहेबगंज डीसी रामनिवास यादव का भी है. आरोप है कि साहेबगंज में करीबन एक हजार करोड़ रुपये का अवैध माईनिंग किया गया है. दावा किया जाता है कि इस अवैध माईनिंग में झामुमो नेताओं की भी बड़ी भूमिका है, इसी आरोप में झामुमो नेता पंकज मिश्रा, बच्चू यादव और दूसरे कई आरोपी अभी बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार में बंद है. हवालात की हवा खा रहे हैं.
दावा किया जाता है कि इन सभी आरोपियों साहेबगंज डीसी रामनिवास यादव की बहुत अच्छी पटती थी और अवैध माइंनिग के इस खेल में उनकी भी सहभागिता थी. इसी आरोप में ईडी के द्वारा रामनिवास यादव से करीबन दस घंटों की लम्बी पूछताछ की जा चुकी है. माना जाता है कि इस मामले में ईडी सिर्फ सही समय का इंतजार कर रही है और किसी भी वक्त रामनिवास यादव को निशाने पर ले सकती है. इसके साथ ही एक और नाम है सीएम हेमंत के प्रधान सचिव रहे राजीव अरुण एक्का का.
खत्म नहीं हुई है राजीव अरुण एक्का की कहानी
याद रहे कि राजीव अरुण एक्का के विरुद्ध सत्ता के गलियारों में राजनीतिक लाइजनर के रुप में अपनी पहचान रखने वाले विशाल चौधरी के निजी कार्यालय में बैठ कर सरकारी फाइलों को निपटाने का गंभीर आरोप है, राज्य के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी के द्वारा इस मामले को उजागर करने के बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गय़ा था. बाबूलाल मरांडी और भाजपा के द्वारा इस वीडियो क्लिप को ईडी को भी सौंपा गया था, जिसके बाद ईडी की ओर से राजीव अरुण एक्का को समन जारी किया गया था, लम्बी पूछताछ हुई थी, फिलहाल यह मामला अभी लटका हुआ है, लेकिन देर सबेर इस मामले को भी खुलना तय है. अब देखना होगा कि ईडी का अगला कहर किस पर टूटता है. रामनिवास यादव या राजीव अरुण एक्का, अब किसकी बारी? राज्य के राजनीतिक गलियारों में यह सवाल बार-बार पूछा जा रहा है.