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पीएम मोदी के बाद क्या अमित शाह की रैली से भी दूरी बनायेंगे चिराग! राजद का यह खेल बढ़ा सकती है भाजपा की मुश्किलें

पीएम मोदी के बाद क्या अमित शाह की रैली से भी दूरी बनायेंगे चिराग! राजद का यह खेल बढ़ा सकती है भाजपा की मुश्किलें

Patna-तेजस्वी यादव की जनविश्वास यात्रा रैली के बाद बिहार में सियासी गतिविधियां अचानक से तेज हो चुकी है. पीएम मोदी से लेकर तमाम केन्द्रीय मंत्रियों का बिहार दौरा जारी है. आज पालीगंज में केन्द्रीय मंत्री अमित शाह पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की एक बड़ी रैली को संबोधित करने वाले हैं. दावा किया जाता है कि इस रैली में करीबन एक लाख लोगों की भागीदारी होगी. दरअसल तेजस्वी यादव की रैली में जिस प्रकार लोगों का हुजूम उमड़ा, उसके बाद भाजपा की सांसे उखड़ी नजर आ रही है.इसी रैली के बाद भाजपा ने बिहार पर अपना फोकस बढ़ाने का निर्णय लिया. आज पालीगंज की सभा भी उसी की एक कड़ी है.

भूमिहारों के गढ़ में पिछड़ा सम्मेलन

ध्यान रहे कि पालीगंज इलाके को भूमिहारों का गढ़ माना जाता है, लेकिन दूसरी सच्चाई यह भी है कि पालीगंज के आस पास आने वाले दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, विक्रम, तरारी, अरवल, कुर्था, घोषी, अतरी आदि विधान सभाओं में आज कोई भी भाजपा का विधायक नहीं है, और विशेष बात यह है कि सारे विधायक पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों से आते हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि इस कारण भाजपा को पिछड़ा अतिपिछड़ा सम्मेलन करना पड़ रहा है.

पीएम मोदी की रैली से दूरी बना चुके हैं चिराग

लेकिन दूसरी ओर राजद की नजर भी आज अमित शाह के दौरे पर टिकी हुई है. उसकी कोशिश यह जानने-समझने की नहीं है कि अमित शाह की रैली में कितनी भीड़ जुटती है, और बिहार को कौन सी सौगात देने की घोषणा की जाती है, दरअसल राजद अमित शाह की रैली पर नजर सिर्फ इसलिए बनाये हुए है कि चिराग पासवान आज इस रैली में शामिल होते हैं नहीं. क्योंकि इसके पहले पीएम मोदी की रैलियों से चिराग अपनी दूरी बना चुके हैं. इस बीच खबर यह भी है कि चिराग और तेजस्वी में बातचीत जारी है, हालांकि अभी तक यह समझौता अपने अंजाम तक नहीं पहुंचा है. लेकिन चिराग को वैशाली, हाजीपुर, खगड़िया, जमुई, नवादा और समस्तीपुर सीटें देने राजद सहमत हो चुकी है. इसके साथ ही बेतिया और नरकटियागंज भी चिराग को दिया जा सकता है. जबकि दूसरी ओर एनडीए में चिराग के लिए सीटें मुश्किल होती नजर आ रही है. दावा किया जाता है कि भाजपा बिहार की अधिकतम सीटों पर खुद ही लड़ना चाहती है, दूसरी ओर नीतीश कुमार किसी भी हालत में 16 सीट से कम पर लड़ने को तैयार नहीं है, इस प्रकार यदि देखा जाए तो जदयू और भाजपा कमसे कम 33 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है, बाकि के सात सीटों में चिराग, जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा के हिस्से में आनी है, इस हालत में चिराग को किसी भी सूरत में तीन सीट से ज्यादा मिलता नहीं दिख रहा है, जबकि दूसरी ओर राजद उनकी हर शर्त मानने को तैयार है.

चिराग के पालाबदल के बाद मुश्किल हो सकती है भाजपा की राह

इस हालत में यदि आज चिराग अमित शाह की रैली में शामिल होते हैं, इसका मतलब साफ होगा कि चिराग फिलहाल इंडिया गठबंधन का हिस्सा ही बना रहना चाहते हैं, लेकिन यदि चिराग प्रधानमंत्री मोदी के बाद अमित शाह की रैली से भी दूरी बनाते हैं, तो इसका मतलब होगा कि वह पाला बदल को तैयार हैं. इस बीच राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधान सभा चुनाव के दौरान ही तेजस्वी ने यह साबित कर दिया था कि वह अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम हैं. इस हालत में यदि उन्हे चिराग और मुकेश सहनी का साथ मिल जाता है, तो राजद की मजबूती और भी धारदार हो जायेगी. जिसके बाद भाजपा बिहार की सियासत में फंसती नजर आ सकती है. अब देखना होगा कि आज चिराग कौन सा रास्ता चुनते हैं. फिलहाल राजद समर्थकों के साथ ही सियासी दांव पेच में रुचि रखने वालों की नजर चिराग पर बनी हुई है.

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Published at:09 Mar 2024 12:43 PM (IST)
Tags:After PM Modiwill Chirag stay away from Amit Shah's rally alsoThis game of RJD can increase the problems of BJPbihar politicsbihar political crisisbihar newsbiharbihar politics newsbihar politics livebihar political newsbihar politics latest newsbihar political news todaypolitics of biharbihar politics updatebihar assemblybihar latest newsBackward Conference in the bastion of BhumiharsTejashwi Yadav's Jan Vishwas Yatra rallytronghold of BhumiharsChirag has distanced himself from PM Modi's rallyBJP's path may become difficult after Chirag's defectionChirag attends Amit Shah's rally
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