रांची(Ranchi)-राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को निशाने पर लेते रहे विधान सभा अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो के विरुद्ध भाजपा ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए कारवाई की मांग की है. झारखंड भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी दी है.
बाद में मीडिया कर्मियों को संबोधित करत हुए दीपक प्रकाश ने कहा है कि झारखंड के इतिहास में यह पहला अवसर पर जब किसी राजनीति पार्टी के द्वारा राज्यपाल को निशाने पर लिया जा रहा है, अपनी सस्ती राजनीति के चक्कर में राज्यपाल की संवैधानिक भूमिका पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं, और वह भी एक विधान सभा अध्यक्ष के द्वारा, विधान सभा अध्यक्ष से तो राजनीतिक रुप से निरपेक्ष होने की आशा की जाती है, लेकिन यहां तो विधान सभा अध्यक्ष राजनीतिक कार्यकर्ता के समान झामुमो की ओर से बयान दे रहे हैं. विधान सभा अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होकर झामुमो के कार्यकर्ता सम्मेलन भाग ले रहे हैं और उसी मंच से राज्यपाल को सीधे-सीधे निशाने पर लेकर संवैधानिक मर्यादा को तार-तार कर रहे हैं.
राज्यपाल नहीं है पीड़ित पक्ष
हालांकि दीपक प्रकाश ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि क्या राजभवन की ओर से भाजपा प्रतिनिधिमंडल को कोई आश्वासन प्रदान किया गया है? हालांकि पत्रकारों ने दीपक प्रकाश से यह सवाल भी दागा कि यहां तो पीड़ित पक्ष खुद राज्यपाल ही है, राज्यपाल की भूमिका पर ही सवाल खड़े किये जा रहे हैं, राज्य में उनके द्वारा किये जा रहे सघन दौरे को चुनौतियां दी जा रही है, राज्यपाल की सक्रियता को उनके राजनीतिक रुक्षान से जोड़ कर देखा जा रहा है. झामुमो का आरोप है कि राज्यपाल अपने संवैधानिक दायित्वों और जिम्मेवारियों से इतर जा कर अपनी भूमिका का निर्वाह करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इन सारे प्रश्नों का जवाब दीपक प्रकाश की ओर से नहीं दिया गया, लेकिन इतना साफ किया गया कि इस मामले में राज्यपाल पीड़ित पक्ष नहीं हैं, संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पर राज्य के मुखिया है, उन्हे पूरे राज्य का दौरा कर जन भावनाओं को जानने-समझने का अधिकार है. वह अपनी इसी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं. यहां याद रहे कि हालिया दिनों में विधान सभा अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की भूमिका पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. राज्यपाल की गतिविधियों को एक पार्टी विशेष से जोड़ कर देख रहे हैं, इसके साथ ही एक राज्यपाल के रुप में सीपी राधाकृष्णन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहे हैं.
साहिबगंज में झामुमो कार्यकर्ता सम्मेलन में विधान सभा अध्यक्ष का बयान
साहिबगंज में झामुमो की ओर से आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रविन्द्रनाथ महतो ने कहा है कि हेमंत सरकार ने सरना धर्म कोड को विधान सभा से पारित कर राजभवन भेजा था, इसको पारित होने के बाद जनगणना के वक्त इस बात की जानकारी सामने आ जाती कि राज्य में सरना धर्मलंबियों की वास्तविक संख्या क्या है, जिससे कि उनकी सामाजिक–आर्थिक जरुरतों के अनुरुप राज्य में नीतियों का निर्माण किया जा सके. लेकिन राजभवन ने इसमें अड़ंगा मार गया और इस प्रस्ताव को वापस भेज दिया, जिसके कारण यह कानून का रुप नहीं ले सका. राजभवन के इस कार्रवाई से साफ हो जाता है कि सरना धर्मलंबियों का हितैषी कौन है, और कौन दुश्मन? उन्होंने आगे कहा कि राजभवन सिर्फ यहीं नहीं रुका, उसने तो 1932 का खतियान, पिछड़ों का आरक्षण में विस्तार संबंधी विधेयक को भी वापस कर दिया, सरकार तो आदिवासी-मूलवासियों के कल्याण के लिए अपना कार्य कर रही है, दलित पिछड़ों के अधिकारों के लिए नीतियों का निर्माण कर रही है, लेकिन अड़ंगा तो हर बार राजभवन मार जाता है. वह तो यहां भाजपा के कार्यकर्ता के समान काम करते दिख रहे हैं.
राज्यपाल का जवाब
हालांकि इन सारे आरोपों पर का जवाब देते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि मैं किसी भी कानून के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन कोई भी काम कानून के दायरे में होना चाहिए. इन तमाम विधेयकों को वापस करने का फैसला अटॉर्नी जनरल की राय पर ली गयी थी. इसके पहले वह अपने ट्विटर अकाउंट पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़ा कर चुके हैं.
दोनों ही संवैधानिक पद
विधान सभा अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो के बयान को आधार बनाते हुए भाजपा अब पलटवार कर रही है, भाजपा का आरोप है कि रविन्द्रनाथ महतो अपने संवैधानिक दायित्वों को तार-तार कर रहे हैं, हालांकि यही आरोप राजभवन के विरुद्ध विधान सभा अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो का भी है, ध्यान रहे कि दोनों ही संवैधानिक पद है. हालांकि इस मामले में दीपक प्रकाश न्यायालय जाने की बात भी कह रहे हैं, लेकिन फिर वही सवाल आकर खड़ा हो जाता है कि इस मामले का पीड़ित पक्ष कौन है? पीड़ित पक्ष राज्यपाल हैं, दीपक प्रकाश का इससे इंकार है? क्योंकि कोर्ट तो पीड़ित पक्ष को ही जाना है.