रांची(RANCHI)- विपक्षी दलों के गठबंधन के द्वारा अपना नामांकरण इंडिया करने के बाद जिस प्रकार से G-20 के आमंत्रण पत्र से इंडिया का नाम गायब कर प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया, उसके बाद पूरे देश में यह बहस का मुद्दा बन चुका है. विपक्षी खेमा के द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि भाजपा के अन्दर इंडिया का आतंक समा चुका है, अब उसे सोते उठते सिर्फ इंडिया सुनाई पड़ रहा है, और इसी दहशत में अब प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के बदले प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा जा रहा है.
इस बीच यह दावा भी सामने आया कि पीएम मोदी ने पांच दिनों का विशेष सत्र महज इंडिया शब्द को मिटाने लिए बुलाया है, इस विशेष सत्र के दौरान संविधान संशोधन कर संविधान के पन्नों से इंडिया को मिटाया जा सकता है. भाजपा के अन्दर पनप रहे इस कथित भय को इंडिया गठबंधन के घटक दलों अपनी विजय माना जा रहा है, उनका दावा है कि अभी तो यह महज एक शुरुआत है, आने वालों दिनों में इसके कई साइड इफेक्ट सामने आने वाले हैं. जैसे इंडिया का ताकत और कुनबे में विस्तार होगा, भाजपा का दहशत उतनी ही तेजी से विस्तार लेगा.
लेकिन इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने इंडिया गठबंधन का वैकल्पिक नाम सुझा कर मामले को और दिलचस्प बना दिया है, अपने सोशल मीडिया साइट पर शशि थरुर ने लिखा है कि यदि हम अपने गठबंधन का नामांकरण भारत- Alliance for Betterment, Harmony And Responsible Advancement for Tomorrow (BHARAT) कर दें को भाजपा की इस बेचैनी में और भी इजाफा हो सकता है, इसके साथ ही नाम बदलने के इस खेल पर विराम भी लग सकता है. क्योंकि इंडिया मिटाने के बाद उनके लिए भारत को मिटाना नामुमिकन टास्क होगा.
कभी इंडिया तो कभी भारत, भाजपा के लिए इस पहेली को समझना हुआ मुश्किल
हालांकि शशि थरुर का यह व्यक्तिगत बयान है, और इसका कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन जिस प्रकार से भाजपा के द्वारा हालिया दिनों में इंडिया शब्द से विरक्ति देखी जा रही है, उसके बाद पहले ही कई विपक्षी नेताओं के द्वारा गठबंधन का नामाकरण भारत करने का सुझाव दिया गया है, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने तो नाम बदलने के इस खेल तंज कसते हुए लिखा था कि यदि कल हम इंडिया गठबंधन का नाम भारत कर दें तो क्या भाजपा भारत को मिटाने का अभियान चलायेगी, साफ है कि विपक्ष कभी इंडिया तो कभी भारत का शब्दजाल फेंक फेंक भाजपा में अपने गठबंधन का आंतक पैदा करने कोशिश कर रही है, और जिस तेजी से भाजपा के द्वारा इसका प्रतिकार किया जा रहा है, उसी तेजी से विपक्षी दलों का काम आसान होता जा रहा है, जिस इंडिया गठबंधन को दूर दराज तक पहुंचने में अभी वक्त लगता, भाजपा की वेजह प्रतिक्रिया के वह समय के पहले वहां दस्तक दे रही है. जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है.