Ranchi- झारखंड की राजनीति में इन दिनों गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद अब गैंग्स ऑफ साहिबगंज की चर्चा तेज हो गयी है. लोगों में अब इस गैंग्स के बारे में जुड़ी हर खबर को जानने की उत्सुकता देखी जा रही है. हालांकि गैंग्स ऑफ साहिबगंज पूर्व सीएम बाबूलाल मंराडी की दिमाग की उपज है, यह नामांकरण उनके ही द्वारा किया गया है.
दरअसल साहिबगंज खनन घोटाले एक अहम किरदार माने जाने वाले दाहू यादव की गिरफ्तारी नहीं होने पर पूर्व सीएम बाबूलाल ने कई गंभीर सवाल खड़े किये हैं, इसके साथ ही उनके द्वारा इस मामले में आरोपी की झड़ी लगा दी गयी है. दाहू यादव के बहाने सरकार को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा है कि पुलिस को दाहू यादव मिल नहीं पा रहा है, यह दावा बिल्कुल गलत है, सच्चाई इसके विपरीत है.
सूत्र बताते हैं कि #गै्ग्स_ऑफ_साहिबगंज गिरोह का मेम्बर अपराधी दाहू यादव को पुलिस इसलिये नहीं पकड़ रही है कि उसने पकड़े जाने पर मुँह खोलकर @dir_ed को वहाँ के सरग़ना पंकज मिश्रा समेत लूट के सारे सरकारी-ग़ैर सरकारी हिस्सेदारों के बारे में सबकुछ बता देने की चेतावनी दे रखी है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) May 12, 2023
दाहू…
गैंग ऑफ साहिबगंज’ का मुख्य सरगना पंकज मिश्रा
बाबूलाल का दावा है कि दाहू यादव ने राज्य सरकार को साफ चेतावनी दे दी है कि उसकी गिरफ्तारी के साथ ही “गैंग ऑफ साहिबगंज’ का मुख्य सरगना पंकज मिश्रा की सारी कलई खुल जायेगी. साहिबगंज में किस प्रकार खनन की लूट हुई और उसमें शामिल चेहरे कौन थें, इसका पूरा पर्दाभाश हो जायेगा. दाहू यादव की इसी धमकी के आगे पूरा प्रशासनिक महकमा और पुलिस विभाग हांफता नजर आ रहा है. क्योंकि सरकार किसी भी कीमत पर इस गैंग्स का सरगना पंकज मिश्रा को बचाना चाहता है, डर इस बात की है कि पंकज मिश्रा की कलई खुलते ही कई चेहरे बेनकाब हो जायेंगे, कईयों के राज से पर्दा उठ जायेगा. यही कारण है कि पुलिस उसकी गिरफ्तारी नहीं कर उसे सुरक्षित ठिकाना मुहैया करवाने में जुटी है. दूसरी तरफ उसके घर कुर्की जब्ती का नाटक किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि पुलिस उसके व्हाइट हाउस, होटल और उसके दूसरे विवादित संपत्तियों पर हाथ डालने की हिम्मत भी नहीं हो पा रही है.
शिकायत करने वाली महिला को दी जा रही है धमकी
बाबूलाल ने कहा कि बात सिर्फ दाहू यादव की गिरफ्तार का नहीं है, बल्कि इससे भी आगे जाकर अब दाहू यादव के द्वारा स्वीटी पैलेस मामले में शिकायत दर्ज करवाने वाली महिला को धमकाये जाने का है, ईडी में अपना बयान बदलने के लिए बयाये जा रहे दबाब का है. पुलिस महिला को सुरक्षा प्रदान करने के बजाय उसके एक सहयोगी को ही गिरफ्तार कर रही है, यही से पुलिस की नीयत पर सवाल खड़ा हो रहा है.