Ranchi- पटना हाईकोर्ट के द्वारा जातीय जनगणना पर लगाई गयी रोक वापस लेते ही अब पड़ोसी राज्यों में इसकी मांग तेज होती जा रही है. उत्तर प्रदेश में पहले ही इसकी मांग की जाती रही है, जातीय जनगणना को लेकर लम्बे अर्से से धरना प्रर्दशन तेज है, अब पड़ोसी राज झारखंड भी उसी राह पर चलने की तैयारी में है, लेकिन यहां इसके लिए किसी धरना प्रर्दशन करने की नौबत नहीं है, खुद हेमंत सरकार इसकी तैयारियों में जुट गयी है और मॉनसून सत्र के दौरान ही इस मामले में कोई बड़ा निर्णय हो सकता है, विधायक प्रदीप यादव के द्वारा उठाये गये एक सवाल के जवाब में सरकार ने सदन में यह स्वीकार किया है कि जातिगत जनगणना को लेकर सरकार के अन्दर गंभीरता से विचार चल रहा है, और जल्द ही इसकी घोषणा की जा सकती है.
60 फीसदी आबादी वाले पिछड़ों को 14 फीसदी आरक्षण
प्रदीप यादव ने यह सवाल भी खड़ा किया था कि झारखंड में पिछड़ों की आबादी करीबन 60 फीसदी है, बावजूद इसके पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मात्र 14 फीसदी ही है, साथ ही जिला कोटी की सेवाओं में नौ जिलों में पिछड़ो का आरक्षण शुन्य है.
सरना धर्म कोड का भी विकल्प देना चाहती है सरकार
हालांकि खबर यह है कि सरकार सरना धर्म कोड की तरह इसे भी केन्द्र के पाले में डालने की तैयारी में है. क्योंकि जाति आधारित जनगणना के दौरान सरना धर्म कोड का मुद्दा एक बड़ा सवाल बन कर सामने आ सकता है, सरकार की रणनीति जाति आधारित जनगणना के दौरान सरना धर्म कोड का विकल्प भी देने की है. ताकि जातीय आंकड़ों के साथ ही सरना धर्म लंबियों का सही आंकड़ा भी सामने आ सके. ध्यान रहे कि हेमंत सरकार की ओर से 27 फीसदी करने के लिए विधेयक लाया गया था, लेकिन राजभवन के द्वारा पर आपत्ति के साथ लौटा दिया गया. हेमंत सरकार अब इसी आधार पर भाजपा को पिछड़ा विरोधी साबित करने में तुली है. ध्यान रहे कि हेमंत सरकार की ओर से 27 फीसदी करने के लिए विधेयक लाया गया था, लेकिन राजभवन के द्वारा पर आपत्ति के साथ लौटा दिया गया. हेमंत सरकार अब इसी आधार पर भाजपा को पिछड़ा विरोधी साबित करने में तुली है