रांची(RANCHI): 60:40 को लेकर भाजपा की असमंजस अब कुछ हद तक खत्म होती नजर आ रही है. अब तक इस मुद्दे पर सीधी राय रखने से बचती रही भाजपा ने 2601 शिक्षकों की बहाली को लेकर हेमंत सरकार के सामने कई अहम सवाल खड़े किये हैं. भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने सरकार पर 60:40 की नियोजन नीति के माध्यम से गैरझारखंडियों के लिए चोर दरवाजा खोलने का आरोप लगाया है. उन्होंने हेमंत सरकार से पूछा है कि वह किस नियोजन के तहत इन शिक्षकों की बहाली करने जा रही है, उस नीति को सामने लाये.
2016 से नहीं हुआ है टेट का संचालन
भानु प्रताप शाही ने सरकार के बहाली के पहले नियोजन नीति को स्पष्ट करने की मांग की. इसके साथ ही 2016 के बाद टेट की परीक्षा का संचालन नहीं किये जाने पर भी सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि इन 7 वर्षों में करीबन 8 लाख छात्रों को इस परीक्षा से वंचित किया गया, अब यदि बहाली होती है तो उन छात्रों का क्या होगा, क्या उनका भविष्य दांव पर नहीं होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इसका जवाब देना चाहिए. हालांकि भानु प्रताप शाही ने यह भी साफ किया है कि वह इस मुद्दे पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने नहीं जा रहे हैं. लेकिन उनकी कोशिश उचित फोरम पर इस सवाल को उठाने की जरुर होगी.
हेमंत सरकार की स्थानीय नीति को वापस कर चुका है राजभवन
यहां ध्यान रहे कि हेमंत सरकार की ओर से इसके पहले खतियान आधारित नियोजन नीति और स्थानीय नीति का निर्माण किया गया था, लेकिन एक जहां नियोजन नीति को हाईकोर्ट के द्वारा खारीज कर दिया गया, वहीं स्थानीय नीति को राजभवन के द्वारा कई आपत्तियों के साथ वापस कर दिया गया. झामुमो का दावा है कि भाजपा की सह पर ही हाईकोर्ट में उसकी नियोजन नीति चुनौती दी गयी थी, जिसकी परिणति यहां के आदिवासी मूलवासियों की हकमारी के रुप में हुई. क्योंकि सरकार को आखिरकार लाचार होकर 60:40 की नियोजन नीति को लाना पड़ा, क्योंकि सरकार किसी भी कीमत पर नियोजन की प्रक्रिया को बाधित नहीं करना चाहती थी, क्योंकि ऐसा करना झारखंडी युवाओं के भविष्य के साथ एक भद्दा मजाक होता.
खतियान आधारित नियोजन नीति ही हमारा अंतिम लक्ष्य
हालांकि हेमंत सरकार इस बात का भी भरोसा दिला रही है कि 60:40 की यह नियोजन नीति स्थायी नीति नहीं है, सरकार उचित समय पर इसका निदान खोजेगी और आखिरकार खतियान आधारित नियोजन नीति को ही लागू किया जायेगा. लेकिन वह एक लम्बी प्रक्रिया है, और जब तक खतियान आधारित नियोजन नीति लागू नहीं हो जाता, तब तक नियोजन की प्रक्रिया को बाधित करना युवाओं के साथ अन्याय होगा. उनके सपनों को कुचलने के जैसा होगा. हेमंत सरकार का दावा है कि भाजपा पर राज भवन को आगे कर हर बार आदिवासी-मूलवासियों से जुड़े नीतियों में अड़ंगा लगाने का काम करती है, ताकि इन समुदायों का समुचित भागीदारी सत्ता और सत्ता के संचालन नहीं हो सके और वह नौकरी से लेकर दूसरे सभी दूसरे अधिकारों से वंचित रहें.