पटना(PATNA)-10 जून को शिक्षा विभाग के अपर सचिव के रुप में कार्यभार ग्रहण करते ही के.के पाठक विवादों में घिरते नजर आने लगे हैं, उनके खिलाफ कई मोर्चे एक साथ खुलते दिख रहे हैं, शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर से उनका मतभेद तो जगजाहीर हो चुका है, लेकिन एक मोर्चा वाम दलों ने भी खोल रखा है, इसके साथ ही कई दूसरे मंत्री भी उनसे नाराज बताये जा रहे हैं.
समर्थक और विरोधियों के दावे
के. के पाठक के कामकाज पर नजर रखने वाले उन्हे एक कड़क मिजाज अफसर बताते हैं, वहीं विरोधी खेमा उन्हे दलित और पिछड़ा विरोधी बताने से नहीं चूक रहा, खुद नीतीश सरकार में नये-नये मंत्री पद नवाजे गये रत्नेश सदा भी का भी यही आकलन हैं.
लेकिन अन्दरखाने से जो सूचना निकल कर आ रही है, उसके अनुसार के.के पाठक के विरोध की वजह दूसरी है, दावा किया जा रहा है कि के. के पाठक के निशाने पर करीबन 75 हजार फर्जी शिक्षक हैं, उन पर बर्खास्तगी की तलवार लटक चुकी है.
2006 से 2015 तक जनप्रतिनिधियों के हाथों हुआ था शिक्षकों की नियुक्ति
दरअसल 2006 से 2015 तक मुखिया और जिला परिषद अध्यक्षों के हाथों शिक्षकों की जो नियुक्ति हुई, उसमें भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार जगजाहीर है. के.के पाठक ने पदभार संभालते ही उन फाइलों को झाड़ना-फूंकना शुरु कर दिया. इसी झाड़-फूंक के क्रम में यह जानकारी हाथ लगी की 75 हजार शिक्षकों का फोल्डर की मांग विजिलेंस की टीम पिछले कई वर्षों से कर रही है. विजिलेंस के अधिकारी शिक्षा विभाग का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं, के.के पाठक ने पदभार ग्रहण करते ही अधिकारियों को विजिलेंस की टीम को सहयोग करने का फरमान सुना दिया. जिसके बाद पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया.
हाईकोर्ट में चल रही है जांच
यहां बता दें कि शिक्षक नियुक्ति में भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट में एक अपील दायर की गयी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने विजिलेंस को इसकी जांच की जिम्मेवारी सौंप दी थी, पिछले आठ वर्षों से इसकी जांच चल रही है, इसी मामले में विजिलेंस ने शिक्षा विभाग से हर शिक्षक की नियुक्ति से संबंधित फोल्डर उलब्ध करवाने को कहा. अब इस मामले में फाइनल सुनवाई होनी वाली है.
कम से कम एक लाख शिक्षकों की जा सकती है नौकरी
दावा किया जा रहा है कि बिहार में अभी कम से कम 75 हजार फर्जी शिक्षक कार्यरत हैं, इनकी बहाली कैसे हुई, किस आधार पर हुई, इसकी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं है, इसके साथ ही जिन शिक्षकों का फोल्डर विजिलेंस को सौंपा गया है, अब तक उसकी भी जांच पूरी नहीं हुई है, दावा किया जा रहा है कि के.के पाठक के विरोध के पीछे की वजह यही फोल्डर विवाद है, यदि शिक्षा विभाग एक एक शिक्षकों से जुड़ी फोल्डर को विजिलेंस को उपलब्ध करवा देता हैं, और उसकी जांच हो जाती है, तो कम से कम एक लाख शिक्षकों की नौकरी जाना तय है.