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भगवान श्रीराम क्यों कहलाएं मर्यादा पुरुषोत्तम ? आप भी पढ़ें उन गुणों को जिसके पालन से सुधर सकता है आपका जीवन  

भगवान श्रीराम क्यों कहलाएं मर्यादा पुरुषोत्तम ? आप भी पढ़ें उन गुणों को जिसके पालन से सुधर सकता है आपका जीवन   

टीएनपी डेस्क(TNP DESK):अयोध्या भव्य मंदिर में रामलला विराजमान हो चुके हैं. 22 जनवरी के दिन चारों तरफ श्री राम जी के चर्चे हो रहे थे, सभी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं और आराध्या के रूप में पूछते हैं, उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. कभी आपने सोचा है कि राम जी को पुरुषोत्तम क्यों कहा जाता है, वैसे तो सभी की जुबान पर यह होता है कि राम मर्यादा पुरुषोत्तम है, लेकिन क्या इसके सही मायने सभी को पता है, यदि नहीं पता है तो आज हम आपके इस आर्टिकल के जरिए भगवान राम के मर्यादा पुरुषोत्तम होने की पीछे की वजह बतायेंगे.

भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं

 आपको बताएं कि भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं, श्रीराम ने रावण का संहार करने के लिए त्रेता युग में अवतार लिया. राजा राम को पुरुषोत्तम के नाम से जाना गया. क्या आप जानते हैं कि उनका नाम क्यों पड़ा. आपको बता दें कि राम ने मर्यादा का पालन करते हुए कई आदर्श प्रस्तुत किये है, जिनको आप पालन करते है, तो आपका जीवन सफल होता है.

भगवान श्री राम जी एक आज्ञाकारी पुत्र है

 सबसे पहला भगवान श्री राम जी एक आज्ञाकारी पुत्र है. आज इस दुनिया में जमीन और जायदाद के लिए भाई-भाई और माता-पिता को लोग कुछ नहीं समझते, लेकिन भगवान राम ने त्रेता युग में ही एक आज्ञाकारी पुत्र का धर्म निभाया और माता के कैकई की 14 साल की वनवास की इच्छा को स्वीकार किया. राजा दशरथ अपनी पत्नी कैकई से वचनबद्ध थे, राम ने राज पाठ का त्याग किया और 14 साल के वनवास पर चले गए और एक भी शिकायत उन्होंने अपने पिता के खिलाफ नहीं किया.

श्रीराम ने कभी भी अपने भाई भरत के खिलाफ ईर्ष्या की भावना नहीं रखी

 वहीं श्री राम एक आदर्श भाई भी है. श्रीराम को जहां राजपाठ लेने का हक था, वही कैकई के वचन की वजह से राजा दशरथ ने भरत को राजपाठ सौंप दिया, लेकिन श्रीराम ने कभी भी अपने भाई भरत के खिलाफ ईर्ष्या की भावना नहीं रखी, और हमेशा भरत के प्रति अपना प्रेम दिखाया.

भगनवान ने जरुरत पड़ने पर धर्म की रक्षा के लिए धनुष बाण भी उठाये और राक्षसों का संहार

वही श्रीराम एक आदर्श पति है. प्रभु राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान वनों में वनवासी होकर रहे, एक तरफ धर्म का पालन करते हुए ऋषियों की सेवा की, तो वहीं जरुरत पड़ने पर धर्म की रक्षा के लिए धनुष बाण भी उठाये और राक्षसों का संहार. वहीं जब लंकापति रावण जब उनकी पत्नी देवी सीता का हरण किया तो राम ने रावण का संहार कर उदाहारण पेश किया कि यदि आपकी पत्नी के ऊपर कोई गलत नजर डालता है तो फिर उसे  जरुर जवाब दें.

श्री राम एक आदर्श राजा है. उन्होंने उन्होंने राजा का जो आदर्श प्रस्तुत किया उसे कोई भी भूला नहीं सकता. आज भी लोग राम राज्य के नाम से खुश हो जाते हैं, क्योंकि राजा राम ने किसी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया और अपनी प्रजा का हमेशा ख्याल रखा.

Published at:28 Jan 2024 04:19 PM (IST)
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