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माता सरस्वती के बिना अधूरी थी ब्रह्मा जी की सृष्टि, तब हुआ वीणा देवी का अवतार,पढ़ें सरस्वती नाम पड़ने की वजह

माता सरस्वती के बिना अधूरी थी ब्रह्मा जी की सृष्टि, तब हुआ वीणा देवी का अवतार,पढ़ें सरस्वती नाम पड़ने की वजह

 टीएनपी डेस्क(TNP DESK):माघ महीने की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की आराधना की जाती है. खासकर स्कूल, कॉलेज और इंस्टिट्यूट में विद्यार्थी और शिक्षक मुख्य रूप से माता सरस्वती को पूजते हैं, वहीं जितने भी कलाकार होते है, चाहे वह संगीतकार हो, या गायकर हो सभी माता सरस्वती को पूजते हैं लेकिन क्या आपको पता है की माता सरस्वती का इस सृष्टि में क्या योगदान है और उनकी रचना कैसे हुई थी और वह कैसे धरती पर अवतरित हुई थी.   

पढ़ें माता सरस्वती का इस सृष्टि में क्या योगदान है और उनकी रचना कैसे हुई थी 

  यदि आपको भी इन प्रश्नों के उत्तर नहीं पता है, तो ये आर्टिकल आपके लिए है, क्योंकि इसमें हम आपको इन सारी बातों की जानकारी देनेवाले है.हम सभी को पता है कि इस सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने की थी, लेकिन आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि इस सृष्टि की रचना में माता सरस्वती का क्या योगदान है, तो एक पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने भगवान श्री हरि विष्णु से आज्ञा लेकर इस सृष्टि की रचना की थी, लेकिन जब वह अपने बनाए गए सृष्टि के भ्रमण पर निकले, तो चारों तरफ शांति छायी हुई थी, जहां लोग एक दूसरे से ना तो बात कर रहे थे ना ही किसी तरह की कोई हलचल थी, जब ब्रह्मा जी ने यह देखा तो उन्हें लगा कि उनकी सृष्टि बनाने में कुछ कमी रह गई है.   

जैसे ही माता ने वीणा बजाया शुरू पूरे संसार में एक मधुर ध्वनि फैल गई 

  तब ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जैसे ही जल की पृथ्वी पर गिरी, तो अद्भुत एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री उत्पन्न हुई, जिसके एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था,वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी, जैसे ही तब ब्रह्मा जी ने देवी को देखा, तो उनसे वीणा बजाने का आग्रह किया, जैसे ही माता ने वीणा बजाया शुरू पूरे संसार में एक मधुर ध्वनि फैल गई,जिससे संसार के तमाम जीव जंतुओं को वाणी मिली.जिसके बाद ब्रह्मा जी ने माता को वीणा देवी सरस्वती का नाम दिया. आपको बताये कि माता सरस्वती वसंत पंचमी के दिन अवतरित हुई थी, इसलिए इस दिन माता सरस्वती का जन्मदिन समझ कर मनाया जाता है, वहीं माता की उपासना से विद्या कला और बुद्धि की प्राप्ति होती है.

Published at:15 Feb 2024 01:10 PM (IST)
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