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ऐसा ज्योतिर्लिंग जहां पूजा करने से मिल जाती है ब्रह्म हत्या से मुक्ति, जानिए क्यों श्री राम ने की थी इसकी स्थापना

ऐसा ज्योतिर्लिंग जहां पूजा करने से मिल जाती है ब्रह्म हत्या से मुक्ति, जानिए क्यों श्री राम ने की थी इसकी स्थापना

टीएनपी डेस्क : देश में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों की महिमा और मान्यता अपने आप में खास है. भगवान शिव के 12 ज्योति रूपों के अलग-अलग नाम के साथ इनकी मान्यताएं भी अलग हैं. किसी ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से चार धाम की यात्रा के बराबर पुण्य मिल जाता है तो किसी ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. ऐसी ही कुछ मान्यता ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग की है. भारत में 11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाड़ू के रामनाथपुरम् में स्थित है. भगवान शिव के इस 11वें ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरम् के नाम से पूजा जाता है. कहा जाता है कि, दक्षिण भारत के रामेश्वरम का महत्व उत्तर भारत के काशी के समान है. इसलिए इसे रामेश्वरम को चार धामों में से एक माना गया है. यहां भगवान शिव की पूजा रामनाथस्वामी के रूप में की जाती है. अन्य ज्योतिर्लिंगों की तरह इस ज्योतिर्लिंगों की भी काफी मान्यताएं हैं. इस आर्टिकल में पढिए की कैसे हुई रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति और कैसे पड़ा रामेश्वरम नाम.  

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की कहानी 

पुराणों के अनुसार, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की कहानी भगवान श्री राम से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि, त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने माता सीता का हरण और धरती पर अधर्म फैलाने के लिए लंकापति रावण का वध किया था. लेकिन रावण एक ब्राह्मण था और उसका वध करने पर श्री राम पर ब्राह्मण हत्या का पाप लग गया था. वहीं, ऋषि मुनियों ने ब्रह्म हत्या के प्रायश्चित के लिए प्रभु श्री राम को भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित कर उसका आभिषेक करने का रास्ता बताया. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी को प्रभु श्री राम ने कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाने के लिए कहा. लेकिन हनुमान जी को आने में देरी होता देख फिर माता सीता ने दक्षिणी तट पर ही बालू से शिवलिंग बनाकर स्थापित कर दिया. जिसके बाद प्रभु श्री राम ने माता सीता द्वारा बनाए गए शिवलिंग की पूजा की और ब्रह्म हत्या से मुक्त हो गए. तब से ही इस शिवलिंग का नाम रामेश्वरम पड़ गया. वहीं, जब हनुमान जी शिवलिंग लेकर समुद्र तट पर वापस आए तो उनके द्वारा शिवलिंग को भी वहीं स्थापित कर दिया गया और वैश्वलिंग के नाम से उसकी पूजा की गई. इसके बाद से ही यहां दोनों शिवलिंग की पूजा की जाती है.  

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का महत्व

पुराणों में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग को बहुत ही खास बताया गया है. कहा जाता है कि, यहां आकर पूजा करने वाले भक्तों को भगवान शिव के साथ श्री राम का भी आशीर्वाद मिल जाता है. वहीं, यहां मौजूद 24 कुंड जिसे थीर्थम कहा जाता है, के पानी की भी बहुत मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि, इस कुंड में डुबकी लगाने से गंभीर से गंभीर बीमारी से मुक्ति मिल जाती है. ऐसा भी कहा जाता है कि इस कुंड का निर्माण स्वयं प्रभु श्री राम ने अपने अमोघ बाणों से किया था. वहीं, ब्रह्म हत्या के पाप के प्रायश्चित के लिए इस शिवलिंग की स्थापना श्री राम द्वारा की गई थी ऐसे में यहां पूजा करने से ब्रह्म हत्या से भी मुक्ति मिल जाती है. कहा जाता है कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का अभिषेक विशेष तौर पर उत्तराखंड से गंगाजल लाकर करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. साथ ही भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है.

 

 

 

 

 

Published at:06 Aug 2024 12:26 PM (IST)
Tags:रामेश्वरमरामेश्वरम मंदिर का रहस्यरामेश्वरम ज्योतिर्लिंगरामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कथारामेश्वर ज्योतिर्लिंगरामेश्वरम दर्शनरामेश्वरम ज्योतरलिंग कथारामेश्वरम की कथारामेश्वरम की कहानीरामेश्वरम मंदिर का महत्वज्योर्तिलिंगॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेवपुराणहर हर महादेवRameshwaram Mystery of Rameshwaram Temple Rameshwaram Jyotirlinga Rameshwaram Jyotirlinga Story Rameshwaram Darshan Story of Rameshwaram Importance of Rameshwaram Temple Story of Rameshwaram Dham 2022 Jyotirlinga Om Namah Parvati Pataye Har Har Mahadev Purana Har Har Mahadevतमिलनाडु दक्षिण तट भारत ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग रामेश्वरमश्री राम भगवान शिव पुराणशिव पुराण हनुमान त्रेतायुग Tamil Nadu South Coast India Eleventh Jyotirlinga Rameshwaram Shri Ram Lord Shiva Puranas Shiva Purana Hanuman Tretayuga
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