टीएनपी डेस्क(TNP DESK): हाल के दिनों में किचन की सबसे जरूरी चीज यानी प्याज की कीमतों में भारी उछाल आया है. 20 रुपये प्रति किलो बिकने वाला प्याज अब 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. एक तरफ जहां आम लोगों की जेब ढीली हो रही है, तो वहीं गृहणियों को अब स्वाद और हिसाब का बैलेंस बरकरार रखने में दिक्कत हो रही है. वहीं आज हम आपको प्याज से जुड़ी एक प्रचलित मान्यता के बारे में बताने जा रहे है.
किसके खून से पैदा हुआ प्याज
अक्सर आप लोगों ने सुना होगा कि जब भी कोई व्रत या उपवास करने होते हैं तो कुछ दिन पहले से ही लोग प्याज खाना छोड़ देते हैं. हालांकि प्याज कोई मांसाहारी चीज नहीं है, बल्कि वह भी अन्य सब्जियों की तरह उगने वाली एक सब्जी है, लेकिन फिर भी इसके साथ भेदभाव क्यों किया जाता है, तो इसके पीछे एक कथा प्रचलित है. जिसके अनुसार प्याज की उत्पत्ति एक राक्षस की खून से हुई थी. जिसकी वजह से प्याज खाने से साधु संत परहेज करते हैं और लोगों को भी इससे दूर रहने की सलाह देते हैं.प्याज सेहत के लिए भले ही फायदेमंद माना जाता है, भले इसको डालने से सब्जी या अन्य व्यंजन स्वादिष्ट बनते हैं, लेकिन यह तामसिक भोजन है इसे खाने से लोगों के मन में बुरे विचार आते हैं.
आखिर क्यों साधु-संत करते हैं प्याज खाने से परहेज
पुरानी कथाओं के अनुसार जब स्वारभानु दैत्य ने छल करके देवताओं से छीन कर अमृत पी लिया था, तो श्री हरि विष्णु ने क्रोधित होकर उसका मस्तक अपने चक्र से काट दिया. उसके मस्तक कटने से खून की धारा बहने लगी और जब वह जमीन पर गिरी तो प्याज की उत्पत्ति हुई, क्योंकि प्याज की उत्पत्ति दैत्य की खून से हुई मानी जाती है, इसलिए धर्म-ग्रंथों में इसे खाने से मना किया जाता है.
प्याज नहीं खाने की वजह
धर्म ग्रंथो में तीन तरह के भोजन बताए गए हैं जिसमें सात्विक, राजसिक और तामसिक भोजन है. इनमें से प्याज को तामसिक भोजन माना गया है. यानी वो भोजन जिसको खाने से संयम भंग होता है. इसके साथ ही आयुर्वेद में यह बताया गया है कि प्याज में भले ही औषधीय गुण है लेकिन इसको खाने से उत्तेजना बढ़ती है, जिसकी वजह से लोगों के मन में बुरे-बुरे विचार आते हैं इसलिए साधु संत इसे खाने से बचते हैं.