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कल मनाया जाएगा प्रकृति का पर्व ‘करमा’, भाई की लंबी उम्र के लिए बहनें रखेंगी निर्जला व्रत, जानिए इस पूजा से जुड़े रीति-रिवाज और मान्यता

कल मनाया जाएगा प्रकृति का पर्व ‘करमा’, भाई की लंबी उम्र के लिए बहनें रखेंगी निर्जला व्रत, जानिए इस पूजा से जुड़े रीति-रिवाज और मान्यता

टीएनपी डेस्क: आदिवासी समुदाय प्रकृति प्रेमी कहलाते हैं. इनका प्रकृति से जुड़ाव भी बहुत गहरा और पुराना है. इस बात का अंदाजा इनके पर्व त्योहार को देख कर ही लगाया जा सकता है. आदिवासी समुदाय में मनाया जाने वाला कोई भी पर्व-त्योहार प्रकृति से ही जुड़ा होता है या यूं कहें की वे प्रकृति की ही पूजा विभिन्न तरीकों से करते हैं. इन्हीं पर्व-त्योहारों में से एक है करमा. झारखंड राज्य के आदिवासी समुदायों का बेहद खास और महत्वपूर्ण पर्व. करमा पूजा को आदिवासी समुदायों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है. इस पर्व के अवसर पर आदिवासी युवतियां और महिलायें एक खास पेड़ की पूजा करती हैं. पुरुष ढोल नगाड़े बजा कर नाचते गाते हैं. हालांकि, झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में भी यह पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है. आइए जानते हैं, क्यों मनाया जाता है करमा पूजा और क्या है इसके रीति-रिवाज. 

कब और क्यों मनाया जाता है करमा पूजा

भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हर साल करमा पूजा मनाया जाता है. इस साल करमा पूजा शनिवार 14 सितंबर को है. ऐसे में कल होने वाली करमा पूजा को लेकर झारखंड के आदिवासी समुदाय ने तैयारी कर ली है. आदिवासी समुदाय में इस पूजा को लेकर बहुत पुरानी परंपरा और मान्यता है. करमा पूजा भाई-बहन के प्यार और रिश्ते को समर्पित है. इस पूजा के दिन बहनें दिन भर का निर्जला उपवास कर अपने भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. आदिवासी समुदाय में करमा पूजा एक नई शुरुआत होती है. कोई भी शुभ काम इसी पूजा के बाद से किए जाते हैं.

करमा पूजा से जुड़े रीति रिवाज

करमा पूजा की रीति रिवाज भी अनोखी है. भाई की लंबी उम्र के लिए युवतियां इस दिन करम वृक्ष की पूजा करती हैं. करमा पूजा करने के लिए करम वृक्ष की डाली को काटकर घर के आंगन में लगाया जाता है. जिसके लिए पूजा के दिन पहले लड़के जंगल जाते हैं और करम वृक्ष की तीन डाली काटने से पहले वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करते हैं. परिक्रमा करने के बाद वहां धूप जलते हैं और उसके बाद ही पेड़ से डाली काटकर लाते हैं. जिसके बाद युवतियां शाम को पूरे विधि विधान और करमा पूजा के गीत गा कर करमा डाली को आंगन में गाड़ती है. साथ ही एक कटोरी में 9 तरह के अनाज को रख कर भाई और परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना कर पूजा को सम्पन्न करती हैं. लगभग 1 घंटे तक यह पूजा चलती है. पूजा सम्पन्न होने के बाद सभी एक साथ त्योहार की खुशी मनाते हैं और नाचते-गाते हैं. पूजा के दूसरे दिन पूजा की गई करमा की डाली को अनाज, दूध और दही अर्पित कर नदी में विसर्जित कर दिया जाता है.

 

Published at:13 Sep 2024 03:29 PM (IST)
Tags:प्रकृति का पर्व ‘करमा’ करमा पूजा निर्जला व्रत करमा पूजा रीति-रिवाज करमा पूजा की मान्यता आदिवासी पर्व आदिवासी समुदाय पर्व त्योहार छत्तीसगढ़ उड़ीसाNature's festival 'Karma' Karma Puja Nirjala fast Karma Puja customs Recognition of Karma Puja Tribal festival Tribal community Festival festival Chhattisgarh Orissa
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