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जानें अनंत चतुर्दशी पर क्यों की जाती है 14 गांठों वाले अनंत सूत्र की पूजा

जानें अनंत चतुर्दशी पर क्यों की जाती है 14 गांठों वाले अनंत सूत्र की पूजा

टीएनपी डेस्क: अनंत चतुर्दशी का त्योहार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. ऐसे में आज 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ पूरे भारत में अनंत चतुर्दशी भी मनाई जा रही है. इस दिन भगवान नारायण के अनंत रूप की पूजा की जाती है. इस दिन देवी यमुना और नागों में शेष शेषनाग की पूजा कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया जाता है. कहा जाता है कि, अगर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा सच्चे मन से की जाए तो पूरे 14 साल तक के लिए अनंत फल और पुण्य एक ही दिन में प्राप्त हो जाता है. साथ ही भगवान नारायाण के साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती हैं. इस आर्टिकल में पढिए अनंत चतुर्दशी की मान्यता और कथा.

अनंत चतुर्दशी पूजा का महत्व

अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनंत रूप को समर्पित है. इस दिन अनंत सूत्र में 14 गांठें बांधकर भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है. साथ ही पूजा करने के बाद इस 14 गांठों वाले अनंत सूत्र को धारण किया जाता है. कहा जाता है कि, सम्पूर्ण ब्रह्मांड के संचालक और कर्ता धर्ता भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि आती है. 14 गांठों वाले अनंत सूत्र का बड़ा महत्व होता है. अनंत सूत्र ये 14 गांठें भगवान विष्णु के 14 लोकों का प्रतीक है. इसे धारण करने से मनुष्य की रक्षा स्वयं भगवान श्री हरी करते हैं. 14 दिनों तक इस अनंत सूत्र को अपनी बांह में पहनने से मनुष्य को किसी प्रकार का भय नहीं होता है.  

अनंत चतुर्दशी व्रत की पौराणिक कथा

अनंत चतुर्दशी की कई कथा प्रचलित है. जिनमें से एक महाभारत काल से जुड़ी हुई है. पुराणों में बताया गया है कि, जब जुएन में पांडव दुर्योधन से अपना राजपाठ हार गए थे और 14 साल के वनवास की सजा काट रहे थे. तब खुद श्रीकृष्ण ने पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर को अनंत चतुर्दशी के बारे में बताया था. साथ ही युधिष्ठिर को अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह भी श्रीकृष्ण ने दी थी. जिसके बाद युधिष्ठिर ने अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा कर उपवास किया था. मान्यता है कि इस व्रत के बाद से ही पांडवों को उनका खोया हुआ राज्य उन्हें वापस मिल गया.

दूसरी कथा की बात करें तो पुराणों में बताया गया है कि, एक बार कौण्डिनय ऋषि की पत्नी सुशीला ने कई महिलाओं को अनंत सूत्र की पूजा कर उसे अपनी बांह में पहनते हुए देखा. जिसके बाद देवी सुशीला ने उन महिलाओं से इसके पीछे का कारण पुछा. महिलाओं ने जब देवी सुशीला को बताया की यह भगवान विष्णु के अनंत रूप का प्रतिक है तो देवी सुशीला ने भी अपने हाथ में अनंत सूत्र को बांध लिया. जब देवी सुशील ने ऋषि कौण्डिनय को इस बारे में बताया तो ऋषि ने देवी के हाथ में बंधे अनंत सूत्र का अपमान कर उसे आग में जला दिया. ऋषि द्वारा ऐसे करने से भगवान विष्णु यानि अनंत भगवान का अपमान हुआ जिसका परिणाम ये हुआ की कौण्डिनय ऋषि की सारी संपत्ति नष्‍ट हो गई. वहीं, जब ऋषि को अपनी गलती का एहसास हुआ तब उन्होंने 14 साल तक भगवान अनंत की पूजा की. जिसके बाद उनके सारे कष्ट दूर हो गए.

 

 

 

Published at:17 Sep 2024 12:41 PM (IST)
Tags:अनंत चतुर्दशी अनंत सूत्र भगवान विष्णु भगवान श्रीहरि भगवान विष्णु का अनंत रूप अनंत चतुर्दशी पूजाअनंत चतुर्दशी की कथाAnant Chaturdashi Anant Sutra Lord Vishnu Lord Srihari Infinite Form of Lord Vishnu Story of Anant Chaturdashi
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