टीएनपी डेस्क: भारत में अपने बच्चों की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उनकी सुख समृद्धि के लिए माताएं कठिन से कठिन व्रत करती हैं. इन्हीं कठिन व्रतों में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत. जीवित्पुत्रिका व्रत को जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल यह व्रत माताएं करती हैं. माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन निर्जला उपवास कर भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और अपने बच्चों की लंबी आयु और उनकी सुख समृद्धि की कामना करती हैं. वहीं, जीवित्पुत्रिका व्रत तीन दिनों का होता है. इसमें पहले दिन महिलायें नहाय-खाए, दूसरे दिन निर्जला उपवास और फिर तीसरे दिन पारण करती हैं. ऐसे में इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत की तिथि को लेकर बहुत सी महिलायें उलझन में हैं. क्योंकि, इस साल अष्टमी तिथि दो दिन यानी 24 और 25 सितंबर को पड़ रही है. ऐसे में दोनों ही दिन जीवित्पुत्रिका व्रत करने के योग बन रहे हैं. अगर आप भी व्रत की तिथियों को लेकर कंफ्यूज हो रही हैं तो इस आर्टिकल में जानिए की व्रत करने के लिए कौन सी तिथि शुभ है और पूजा और पारण करने का शुभ मुहूर्त क्या है.
व्रत रखने की सही तिथि
मिथिला पंचांग के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत 24 सितंबर को की जाएगी. वहीं, काशी पंचांग के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर को रखी जाएगी. क्योंकि, इस साल अष्टमी तिथि दो दिन पड़ रही है. यानी की अष्टमी तिथि 24 सितंबर मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर शुरू हो रही है और 25 सितंबर बुधवार को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर खत्म हो जाएगी. ऐसे में हिन्दू पंचांग के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत को उद्यातिथि पर ही करने का नियम है. इसलिए जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर को ही करना उचित रहेगा.
व्रत का शुभ मुहूर्त
25 सितंबर के हिसाब से व्रत के पहले दिन यानी 24 सितंबर को नहाय-खाए मनाया जाएगा. जिसके दूसरे दिन 25 सितंबर बुधवार को जीवित्पुत्रिका व्रत करने का शुभ मुहूर्त शाम 4 बजकर 43 मिनट से शाम 6 बजकर 14 मिनट तक है. वहीं, 25 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत करने के बाद दूसरे दिन यानी 26 सितंबर को पारण करने का नियम होता है. ऐसे में इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत के पारण करने का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर गुरुवार की सुबह 4 बजकर 35 मिनट से शुरू हो जाएगी और 5 बजकर 23 मिनट में खत्म हो जाएगी.
क्यों किया जाता है जितिया का व्रत
जीतिया का व्रत मुख्यता झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में किया जाता है. इस दिन महिलायें अपने अपने बच्चे की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं. मान्यताओं के अनुसार, माताओं द्वारा भगवान जीमूतवाहन का व्रत करने से उनके संतान को लंबी उम्र और सारे कष्ट-रोग दूर हो जाते हैं.