जमशेदपुर(JAMSHEDPUR): एक तरफ जहां लोग मॉडर्न जमाने के बहाने अपनी संस्कृति को पीछे भूलते जा रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग देश में मौजूद हैं जो अपनी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए हर उपाय करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही समाज के लोगों की बात करेंगे जो लोग अपनी पुरानी संस्कृति और परंपरा को सबसे उपर रखते हैं. और उसका पालन कर आज भी पूरे धूमधाम से इसको मनाते है. छत्तीसगढ़िया समाज के लोग अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए आज भी गुड्डा-गुड्डी की शादी धूमधाम से करते हैं. और पूरी विधि-विधान से शादी का महोत्सव संपन्न किया जाता है.
धूमधाम से हुई गुड्डा- गुड्डी की शादी
आपने बचपन से ही तो गुड्डा- गुड्डी की शादी देखी ही होगी. इसको सुनते ही लोगों के जेहन में खेल-खिलौनेवाला सीन आ जाता है. जिसको बच्चे खेलते है. लेकिन छत्तीसगढ़िया समाज के बड़े लोग अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए गुड्डा गुड्डी की शादी धूमधाम से करवाते हैं.और गुड्डा- गुड्डी को छोड़कर सबकुछ असली होता है.
बैंड-बाजा और बाराती के साथ दुल्हन को लेने आये दुल्हे राजा
जमशेदपुर के भालूबासा में भी छत्तीसगढ़िया समाज के लोगों ने पारंपरिक ढ़ंग से गुड्डा गुड्डी की शादी धूमधाम से करवाई. जिसमे बैंड बाजा और बाराती के साथ दुल्हे राजा आये और अपनी दुल्हनिया को लेकर गये. गुड्डा-गुड्डी की शादी अक्षय तृतीया के बाद शुभ दिन पर किया जाता है. जहां पूरे परिवार के साथ पूरा समाज इस शादी में शामिल हुआ. शादी में लाखो रुपए खर्च कर विधि- विधान के साथ शादी कराई गई. जिसमे हल्दी, मंडप से लेकर बारात और शादी विवाह के मंत्रो उच्चारण के बाद बिदाई भी होती है. जहां नाच-गाना के साथ पूरे उत्साह के रूप में गुड्डा-गुडिया की शादी रचाई गई
गुड्डा-गुडिया की शादी में दो सौ बाराती नाचते-गाते आये
वहीं इस परंपरा बुजुर्गो ने कहा कि इस शादी का मूल उद्देश्य परिवार समाज में खुशहाली है. और समाज मे छोटे- छोटे बच्चे भी इस परंपरा को भूले नहीं इसको याद रखे. इसलिए इसको किया जाता है. शादी में लगभग दो सौ बाराती नाचते-गाते आते हैं. और जिस तरह एक शादी में अच्छे अच्छे खाना बनता है. उसी तरह इस शादी में खाना का पूरा इंतजाम होता है. जिसको देखकर लगाता ही नहीं कि शादी गुड्डा गुड़िया की है.
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की पत्नी रुक्मणि देवी भी शादी में हुई शामिल
जमशेदपुर में छत्तीसगढ़ी समाज के लोग ही नहीं बल्कि सभी समाज के लोग शामिल हुए. इस शादी में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की पत्नी रुक्मणि देवी भी सामिल हुई. और कहा कि और पहली बार मौका बारात में आने का मौका मिला है. यह देखकर बहुत अच्छा लगता है.
दूसरे समाज के लोग भी होते हैं शामिल
वहीं इस शादी में शामिल हुई युवतीओं का कहना है कि भले हम छत्तीसगढ़ी समाज के नहीं है मगर इस शादी में शामिल होकर हमें दूसरे समाज की संस्कृति को जानने का मौका मिलता है. किस तरह छत्तीसगढ़ समाज में शादी की जाती है और पूरे रशम की जानकारी हमें मिलती है.तो वहीं छत्तीसगढ़िया समाज की महिलाओं ने कहा कि हम भगवान राम और सीता की शादी करते हैं. जिससे खेतों की फसल अच्छे होते हैं. और पूरा साल खुशियों से बितता है. इस परंपरा को हम हर साल धूमधाम से मनाते हैं.
हल्दी से लेकर हर एक रस्म की जाती है पूरी
शादी में लड़का और लड़की के घर में हल्दी से लेकर शादी की हर एक रस्म पूरी की जाती है. और आखिर में जब बरात आता है. तो जिस तरह बारात में सैकड़ों लोग नाचते हुए बरात में शामिल होते हैं. और दूल्हे की गाड़ी में गुड्डा बैठकर गुड्डी को लेने आता है. और शादी के पूरे रस्म के बाद गुड्डा गुड्डी को सिंदूर दान कर मंगलसूत्र बनाकर उसे विदाई कर अपने घर ले जाता है. और लड़की वाले रो-रो कर विदाई करते हैं. यह शादी को देख आप खुद समझ नहीं पाएंगे. कि गुड्डा गुड्डी की शादी है. या किसी लड़के लड़की की शादी हो रही है. छोटे-छोटे बच्चों में भी काफी उत्साह देखने को मिलता है.
रिपोर्ट:रंजीत ओझा