TNP DESK- हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व विशेष श्रद्धा और बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. हर साल चैत महीने के शुक्ल पक्ष से नवमी तिथि तक नवरात्रि का आयोजन होता है. जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इस वर्ष चैती नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक मनाई जाएगी.बताया जा रहा है कि बार चैत्र नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 8 दिनों की होगी. यानी कि नवमी इस बार 6 अप्रैल को होगी.इस बार चैत्र नवरात्रि रविवार से शुरू हो रही है, इसलिए मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आएंगी. ज्योतिष में यह बहुत शुभ माना जाता है.
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.यह पर्व मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत के माध्यम से भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति, सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए जाना जाता है. इस दौरान विशेष रूप से कलश स्थापना, कन्या पूजन और राम नवमी की पूजा का आयोजन होता है.
कलश स्थापना विधि
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व है. आपको बता दे कि क्या विधि है कलश स्थापना करने की.
स्थान चयन–पूजा के लिए घर के उत्तर या ईशान कोण में स्वच्छ स्थान चुनें. इसके बाद स्वच्छ आसन पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.
फिर कलश में पवित्र जल, सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का रखें. कलश के मुंह पर लाल कपड़ा बांधकर उसे आम के पत्तों से सजाएं.
ये करने के बाद कलश के पास जौ के बीज बोएं और ऊपर से थोड़ा पानी छिड़कें. वही पूजा सामग्री में लाल चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, दीपक, कपूर, गंगाजल, और नैवेद्य मां दुर्गा कोअर्पित करें.
पूजा की विधि की बात करे तो सभी देवी-देवताओं का आह्वान करके, दीपक जलाएं और मंत्रोच्चारण के साथ पूजा करें.
नवरात्रि के दिनों में पूजा की विधि
पूजा करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखें. हर दिन सुबह उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को अच्छे से साफ करे .रोजाना मां दुर्गा की आरती और भजन गाएं.पूजा आरती करने के बाद जो श्रद्धालु व्रत रखते हैं, वे फलाहार करें और सात्विक आहार का पालन करें.
आठ दिन पूजा करने के बाद नवमी तिथि को कन्या पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन नौ कन्याओं को आमंत्रित करके उन्हें भोजन कराएं और उपहार दें.
पूजा सामग्री सूची
कलश, गंगाजल, सुपारी, दूर्वा घास, जौ, लाल कपड़ा, मौली, नारियल, लाल चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, दीपक, कपूर, और नैवेद्य,लाल चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, दीपक, कपूर, गंगाजल, और नैवेद्य.
नवमी पूजा और कन्या पूजन के लिए लाल कपड़ा, घी, रौली, सिंदूर, अक्षत, फूल, फल, मिष्ठान, धूप-दीप, नारियल, गंगाजल, श्रृंगार का सामान, कपूर, लाल चुनरी, हल्दी की गांठ, लौंग, सुपारी, पान, हवन सामग्री (जौ, तिल, घी, शक्कर, इलायची, सूखा नारियल, कलावा, चंदन की लकड़ी आदि).
नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा
प्रथम दिन (30 मार्च) मां शैलपुत्री की पूजा
दूसरा दिन (31 मार्च) मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
तीसरा दिन (1 अप्रैल) मां चंद्रघंटा की पूजा
चौथा दिन (2 अप्रैल) मां कूष्मांडा की पूजा
पांचवां दिन (3 अप्रैल) मां स्कंदमाता की पूजा
छठा दिन (4 अप्रैल) मां कात्यायनी की पूजा
सातवां दिन (5 अप्रैल) मां कालरात्रि की पूजा
आठवां दिन (6 अप्रैल) महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा
रिपोर्ट: प्रिया झा