हाजीपुर(HAJIPUR): देश दुनिया में मेडिकल साईंस ने बहुत तरक्की की है. जहां एक से बढ़कर एक शोध किये गये है, लेकिन आज तक कोई ऐसी खोज नहीं कर पाया है. जहां महिला की जगह पुरुष बच्चे को जन्म दे सके, या गर्भवती हो सके,लेकिन बिहार के हाजीपुर जिले से प्रकृति और मेडिकल साइंस को झूठा साबित करने वाली एक खबर सामने आई है, जिस पर विश्वास करना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है.जहां एक बीपीएससी शिक्षक प्रेग्नेंट हो गया है, और यहीं नहीं शिक्षा विभाग की ओर से उसे मैटरनिटी लीव भी दिया जा चुका है. सुनकर आप भी चौंक गये, ना.
शिक्षा विभाग ने एक पुरुष BPSC शिक्षक को गर्भवती बना दिया है
आपको बताये कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था कितनी लचर है इसकी सबको जानकारी है, लेकिन इस बार बिहार शिक्षा विभाग ने जो कारमाना किया है, उसको सुनकर आपकी हंसी निकल जायेगी, तो वहीं आपको इस बात का दुख भी होगा कि आखिर बिहार में हो क्या रहा है. बिहार का शिक्षा विभाग अक्सर, सुर्खियों में रहता है लेकिन इस बार तो बिहार के शिक्षा विभाग में बड़ा कांड हो गया है. शिक्षा विभाग ने एक पुरुष BPSC शिक्षक को गर्भवती बना दिया है और विभाग ने मैटरनिटी लीव भी दे दिया है. यह बिहार है और यहां कुछ भी संभव, क्योंकि अब बिहार के पुरुष टीचर को भी मातृत्व अवकाश मिलने लगा है.
पढ़ें पूरा मामला
दरअसल यह पूरा मामला हाजीपुर महुआ प्रखंड क्षेत्र के उच्च विद्यालय हसनपुर ओसती का है, जहां बीपीएससी जितेंद्र कुमार सिंह तैनात है, जिनको शिक्षा विभाग द्वारा गर्भवती बनाकर पोर्टल ई शिक्षा कोष पर मैटरनिटी लीव दिया गया है, और वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. शिक्षा विभाग के नजरों और ऑफिशल वेबसाइट उत्तर के अनुसार वह शिक्षक प्रेग्नेंट है और छुट्टी पर है. गौर करने वाली बात यह है कि मैटरनिटी लीव सिर्फ महिला टीचर के लिए होती है, जो बच्चों को जन्म देने वाली होती है, उसे समय विभाग द्वारा मैटरनिटी लीव दिया जाता है लेकिन हाजीपुर में तो मामला ही पलट गया है, पुरुष टीचर को भी मैटरनिटी लीव दिया गया है. वहीं इस मामले में प्रखंड शिक्षा अधिकारी अर्चना कुमारी ने विभाग की गलती कबूल करते हुए यह बात कहा है कि पोर्टल की गड़बड़ी से इस तरीके की गलती हुई है. पुरुष टीचर को इस तरीके का छुट्टी नहीं दी जा सकती है, इसमें जल्दी सुधार किया जाएगा. लेकिन जिस तरीके से एक टीचर को महिलाओं को मिलने वाला छुट्टी दिया गया है. पुरुष टीचर इस को लेकर जिले के शिक्षकों में आक्रोश भी है, और हंसी ठिठौली करने का एक अनोखी मुद्दा मिल गई है.
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