टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- गैंगस्टर अमन सिंह की उम्र तो कम थी. लेकिन, उसने इतनी सी जिंदगी में ही काफी दहशत फैला के रखी थी. एक बात तो सच है कि बुरे काम का अंजाम बुरा ही निकलता है. अमन सिंह की धनबाद जेल में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई. आखिर इसके पीछे किसका हाथ है और कौन सा गैंग और किसके साथ अमन सिंह की दुश्मनी यहां थी. ये तो पुलिस की तफ्तीश में बात सामने आयेगी. बड़ा सवाल तो ये है कि जेल के अंदर ही किसी की हत्या हो जाए, तो जेल प्रशासन पर सवाल उठेगा. इसके साथ ही आम इंसान तो ये जरुर सोचेगा कि जब जेल के अंदर कोई सुरक्षित नहीं है, तो भला बाहर कोई कैसे खुद को महफूज समझेगा.
उत्तप्रदेश का रहने वाला था अमन सिंह
अमन सिंह उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. लेकिन, धनबाद के डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या के बाद सुर्खियों में आ गया . एक पेशेवर शूटर के तौर पर उसकी पहचान थी. गांव का ये लड़का की ख्वाहिश शुरु से ही गैंगस्टर बनने की ही रही. जेल की सलाखो से उसका सबसे पहले वास्ता 2010 में हुआ, जब गांव में ही दो गुटों में हुई मारपीट में उसे फैजाबाद जेल भेजा गया. यूपी के कुख्यात मुन्ना बजरगी से भी उसके संबंध थे. बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी के कहने पर ही अमन सिंह ने 2015 में आजमगढ़ के अतरोलिया में डॉक्टर सरोज को गोली मारी थी. इस वारदात के बाद अमन गिरफ्तार हुआ था और दो साल तक आजमगढ़ की जेल में बंद रहा . जेल से बाहर निकला तो उसने जुर्म की दुनिया से रिश्ता नहीं तोड़ा, बल्कि धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह को गोलियों से भूनकर सुर्खियों में आ गया . यूपी छोड़कर झारखंड में ही अपने गैंग को बढ़ाने लगा.
नीरज सिंह हत्याकांड के बाद मिली पहचान
22 मार्च 2017 की रात को कोयला राजधानी धनबाद ही नहीं, पूरा देश में धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता नीरज सिंह की हत्या से हिल गया था. रात को अपनी गाड़ी से ये युवा नेता हर दिन की तरह अपने घर की तरफ रफ्तार से जा रहे थे. अचानक घात लगाए शूटर्स ने एके 47 से उन पर और उनकी गाड़ी पर गोलियों की बरसात कर डाली. नीरज सिंह का शरीर गोलियों से छलनी-छलनी हो गया. उनके बदन में 25 गोलियां मारी गई तो 67 गोलियों के निशान मिले. एक कम उम्र का युवा नेता अकाल मौत को गले तो लगाया ही, इसके साथ ही सरेआम हुए इस हमले में नीरज सिंह के निजी बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी, चालक घलू और करीबी समर्थक अशोक यादव की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी. ऐसा बोला जाता है कि मौका ए वारदात पर गोलियों से धुंआ-धुंआ फिंजा हो गयी थी. 100 राउंड से भी अधिक गोलियां चली थी. सोचिए कितनी खौफनाक मौत शूटरों ने दी थी.
इस खबर ने तो सनसनी मचा दी, धनबाद अपने नेता की याद में सिसक-सिसक कर रो तो रहा ही था और इसके साथ ही आखों में बगवात का तूफान भी उमड़ रहा था. इस साजिथ का आरोप नीरज के ही चचरे भाई और झारिया के तात्कालीन भाजपा विधायक सजिव सिंह पर लगा. वही पुलिस पड़ताल में कुख्यात शूटर अमन सिंह का नाम आया.
कोयलांचल धनबाद में चलाने लगा अपना सिक्का
पुलिस ने अमन को पकड़ा तब ही एक नये माफिया का उदय देश की कोयला राजधानी धनबाद में हो चुका था. कोयला की इस नगरी में एक से एक माफिया पैदा लिए और मिट्टी में मिल गये. गोली,बम और बारूद की गंध फिंजा में हमेशा मौजूद रही. हालांकि, अमन सिंह तो जेल में इस दौरान बंद रहा. लेकिन, इसके साथ ही हत्या, लूट और रंगदारी समेत तमाम तरह के आरोप लगे औऱ केस उस पर लदे. अमन जेल के अंदर अपना साम्राज्य चलाता था. उसके गुर्गे उसके इशारे पर काम को अंजाम देते थे. तमाम तोहमतो के लगने के बाद अमन सुधरा नहीं, बल्कि अपने गुर्गों के जरिए अपना काला धंधा चलाता गया. दहशत के इस कारोबर के चलते प्रदेश के ही कई जेलों में एक जगह से दूसरे जगह ट्रांसफर होता रहा. दुमका जेल में रहने के दौरान अमन सिंह को मदद और संरक्षण देने के आरोप में जेल आईजी मनोज कुमार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए जेल अश्विनी तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया था. अमन रांची और जमशेदपुर जेल में घूमता रहा, लेकिन, उसकी हरकते औऱ अपराध से नाता नहीं टूटा. डॉक्टरों, कोयला कारोबारियों, बिल्डरों से वह जेल के अंदर ही फोन पर धमकी देकर रंगदारी मांगता था.
अमन सिंह की हत्या जेल के अंदर ही हो गयी. फिलहाल, नीरज सिंह की हत्या समेत चार लोगों के हत्या के आरोप में बंद था. झारिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह भी इसी केस में अभियुक्त है. फिलहाल, उनका अदालत के आदेश के बाद रांची रिम्स में इलाज चल रहा है.
अमन सिंह की धनबाद जेल में हत्या का बाद सवाल उठना लाजमी है. अमन पहले भी जेल में हत्या होने की आशंका जतायी थी. उसकी कही ये बात आखिरकर सच साबित हुई. सोचने वाली बात ये है कि जेल के अंदर गैंग्स्टर्स में भिड़ंत हो चुकी है. इसके बावजूद जेल प्रशासन क्यों अलर्ट नहीं हुआ. बड़ा सवाल ये है कि जब कोई जेल के अंदर सुरक्षित नहीं है तो फिर बाहर कैसे महफूज होगा.
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