टीएनपी डेस्क (TNP DESK)- जिस अडाणी समूह के बारे में भारतीय संसद में राहुल गांधी के खुलासे को संसद से उनकी विदाई की वजह मानी जा रही थी, खुद राहुल गांधी भी यह दावा कर रहे थें कि संसद से उनकी विदाई की असली वजह मोदी सरनेम का विवाद नहीं, बल्कि अडाणी समूह पर उनका हर दिन का एक नया खुलासा है. उन्हे प्रधानमंत्री मोदी और अडाणी के आपसी रिश्तों का सच को सामने लाने की कीमत चुकानी पड़ रही है.
अब उसी सच को एक बार फिर से विश्व प्रसिद्ध समाचार पत्र गार्जियन ने सामने ला दिया है, लेकिन यह खबर राष्ट्रीय मीडिया में स्थान नहीं पा सका, इतने बड़े खुलासे पर मीडिया घरानों की यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है. क्या वास्तव में गार्जियन में अडाणी और पीएम मोदी के रिश्तों को लेकर परत दर परत जिन तथ्यों का खुलासा किया गया है, उसमें कोई सच्चाई नहीं है, या फिऱ उस सत्य को सामने लाने का साहस का अभाव है.
कौन है पीएम मोदी का वह करीबी जो भारतीय बाजार में किया अरबों का गुप्त निवेश
यहां याद रहे कि गार्डियन ने यह दावा किया था कि पीएम मोदी के किसी अरबपति करीबी के द्वारा गुप्त रुप से भारतीय बाजार में सैकड़ों मिलियन डॉलर का निवेश किया गया. इस रिपोर्ट में मुख्य रुप से गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी की भूमिका पर सवाल खड़े किये गये हैं. हालांकि अडाणी समूह का मानना है कि कंपनी के रोजमर्रा के काम काज में विनोद अडाणी की कोई भूमिका नहीं है. दावा किया जा रहा है कि विनोद अडाणी के दो करीबी सहयोगियों को उन ऑफशोर कंपनियों के एकमात्र लाभार्थियों के रूप में नामित किया गया है, जिनके माध्यम से धन का प्रवाह होता दिखाई पड़ रहा है, इसके अलावा, वित्तीय रिकॉर्ड और साक्षात्कार से पता चलता है कि मॉरीशस स्थित दो फंडों से अदानी स्टॉक में निवेश की देखरेख दुबई स्थित एक कंपनी द्वारा की गई थी, जिसे विनोद अदानी के एक ज्ञात कर्मचारी द्वारा चलाया जा रहा था.
और यहीं से पीएम मोदी की भूमिका को संदेह की नजर से देखा जा रहा है. क्योंकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद पीएम मोदी को गौतम अडाणी के साथ अपने रिश्ते लेकर कई सवालों का सामना करना पड़ रहा है.
मुम्बई से राहुल गांधी ने साधा निशाना
यहां ध्यान रहे कि कल ही इंडिया की बैठक में शामिल होने मुम्बई पहुंचे राहुल गांधी ने भी गौतम अडाणी और उनके भाई विनोद अडाणी की भूमिका पर कई सवाल खड़े किये हैं. गांधी ने इस रिपोर्ट में किए गए दावे पर सरकार को घेरते हुए कहा है कि गौतम अदानी के भाई विनोद अदाणी के साथ दो विदेशी लोग जुड़े हुए हैं, ऐसे में यहां गंभीर सवाल उठते हैं कि आख़िर ये पैसा अदाणी का है या किसी और का? आख़िर इन विदेशी लोगों को भारत के बुनियादी ढांचे में कैसे काम करने दिया जा रहा है? जिसके बाद राहुल गांधी के द्वारा एक बार फिर से अडाणी मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करवाने की मांग दुहरायी.
साफ है कि आने वाले दिनों में यह मामला एक बार फिर से गरमाने वाला है, हालांकि भारतीय मीडिया इस खबर को लेकर कोई उत्सुकता दिखलायी नहीं पड़ती, लेकिन यह नहीं भूला जाना चाहिए कि आज का दौर सोशल मीडिया का है, और अब सच्चाई की खोज राष्ट्रीय मीडिया में नहीं कर सोशल मीडिया में की जाती है.
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