पटना(PATNA): बिहार विधानसभा की दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे आज सामने आ जाएंगे. मोकामा और गोपालगंज में जनता का फैसला आज आना है. इन दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव का असर ना तो सरकार पर पड़ना है और ना ही विपक्ष पर लेकिन मनोवैज्ञानिक बढ़त के साथ–साथ बिहार में नए महागठबंधन की मजबूती के लिहाज से यह नतीजे बेहद खास होने वाले हैं. मोकामा और गोपालगंज दोनों सीटों पर आरजेडी और बीजेपी के उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर है. जेडीयू किसी भी सीट पर सीधी चुनौती नहीं ले रही है लेकिन नीतीश कुमार की साख तेजस्वी यादव के साथ-साथ दांव पर लगी हुई है. डिप्टी सीएम रहते हुए तेजस्वी यादव के लिए यह पहला उपचुनाव है जबकि नीतीश कुमार ऐसे कई उपचुनाव का सामना कर चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष के तौर पर तेजस्वी यादव ने बोचहां उपचुनाव में जीत हासिल कर मनोवैज्ञानिक बढ़त ली थी और उसके बाद बिहार में सरकार बदल गई. इसके पहले जेडीयू ने दो सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी. एक तरफ जहां सत्ताधारी दलों की साख दांव पर लगी हुई है तो वहीं बीजेपी के पास अपना किला बचाने की चुनौती है. बीजेपी गोपालगंज सीट को बचाने के साथ-साथ मोकामा में बड़ा उलटफेर करने के फिराक में है.
पहली बार नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के साथ आने पर पहली बार आ रहा चुनाव का नतीजा
साल 2015 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो बिहार में चाचा–भतीजे की यह जोड़ी अब तक साथ-साथ चुनाव नहीं लड़ी है. तब तेजस्वी विधायक भी नहीं थे. ऐसा पहली बार हो रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव साथ हो और बिहार में चुनाव का नतीजा आने वाला है. तेजस्वी यादव के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद अगर इन दोनों सीटों पर आरजेडी का कब्जा होता है तो इससे आरजेडी अपने समर्थकों में यह मैसेज दे पाएगी कि तेजस्वी का जादू बिहार में उनके पिता लालू यादव की तरह ही चल निकला है, साथ ही साथ महागठबंधन की एकजुटता भी साबित हो जाएगी. नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार नहीं करने के बावजूद अगर आरजेडी दोनों सीटों पर जीत हासिल कर लेती है तो नीतीश और जेडीयू ये मैसेज दे पाएंगे कि महागठबंधन का वोट बैंक बहुत बड़ा है और नीतीश कुमार के नेतृत्व पर लोगों को भरोसा है. जनता दल यूनाइटेड नीतीश कुमार के बीजेपी से अलग जाने के फैसले को भी सही बता पाएगी.
4+