रांची(RANCHI): झरखंड जंगलों का प्रदेश है,यहाँ की आधी आबादी ग्रामीण इलाके में रहती है. काफी शांत स्वभाव के झारखंड के लोग रहते है. लेकिन इस शांति को भंग कुछ संगठित गिरोह के द्वारा किया गया है. ऐसा लगता है शांत झारखंड को किसी की नजर लग गई है.संगठित गिरोह तो कई है लेकिन अमन साहू गैंग का उत्पात कुछ ज्यादा है.पुलिस भी अमन के गैंग के आगे बेबस दिख रही है. शायद यही कारण है कि अब NIA इस गिरोह के खात्मे का प्लान तैयार कर कार्रवाई में जुटी है. ताबड़तोड़ NIA की कार्रवाई से अमन गैंग में भी हड़कंप मचा हुआ है.
गैंग के पैसे को इन्वेस्ट करने वालों पर नजर
अमन साहू गैंग के आर्थिक तंत्र को तोड़ने के लिए NIA लगातार जुटी हुई है.अमन के गुर्गों समेत इसे सहयोग करने वाले लोगों की लिस्ट तैयार कर कार्रवाई कर रही है. झारखंड बिहार समेत कई राज्यों में कई बार NIA ने दबिश बनाया है. जिसमें कई गुर्गों की गिरफ़्तारी हुई है. इस गिरफ़्तारी से साफ है कि एजेंसी संगठन के आर्थिक तंत्र को पहले तोड़ने में लागि है. संगठित गिरोह के आर्थिक तंत्र जब कमजोर हो जाएगा तो गैंग खुद ब खुद टूटने लगेगा. साथ ही गैंग के पैसे को इन्वेस्ट करने वालों पर भी NIA की नजर है.
शंकर की गिरफ़्तारी में मिली कई जानकारी
अमन गैंग के पैसे को इन्वेस्ट करने वाले शंकर यादव पर NIA ने दबिश बनाया तो उसके पास से एक करोड़ 32 लाख नगद बरामद हुए है. शंकर पर आरोप है कि अमन साहू के पैसे को इन्वेस्ट करने का काम करता था.शंकर की गिरफ़्तारी बिहार के गोपालगंज से हुई है.शंकर के आवास पर रांची NIA की टीम ने लंबी छापेमारी की गई थी. जिसमें कई दस्तावेज और डिजिटल उपकरण भी जब्त किए गए थे. फिलहाल उसे गिरफ्तार करने के बाद रांची लाया गया. जहां पूछताछ की जा रही है.
10 साल से अमन के गैंग का आतंक
दरअसल अमन साहू गैंग पिछले 10 सालों से झारखंड के कोयला कारोबारियों के नाक में दम कर रखा है. डॉन अमन साहू ने 17 साल के उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा. किसी को नहीं मालूम था कि एक छोटे से गांव का पढ़ने वाला लड़का एक दिन झारखंड का बड़ा गैंगस्टर बन जाएगा. आज अमन साहू अपराध की दुनिया का एक बड़ा नाम बन गया है.अमन साहू गैंग झारखंड के पलामू,चतरा, लातेहार, रांची, रामगढ़,बोकारो, गिरिडीह, धनबाद सहित कई जिलों के कारोबारी और ठेकेदारों के नाक में दम कर रखा है.अमन साहू के नाम पर कोयला कारोबारी समेत अन्य करोबार से जुड़े लोगों से रंगदारी की मांग फोन पर की जाती है, और फिर पैसे नहीं देने पर खुलेआम गोली मार दी जाती है.
कैसे बना अमन गैंगस्टर
अमन साहू के गैंगस्टर बनने के शुरुआत में लेकर चलते हैं.अमन के गांव के लोग बताते है कि अमन एक सीधा साधा लड़का था कभी किसी से झगड़ा लड़ाई नहीं करता था लेकिन मैट्रिक में जब वह पढ़ता था तब किसी केस में पहली बार जेल गया. जेल में करीब 10 महीने रहने के बाद उसने आगे की पढ़ाई को पूरा किया.अच्छे नम्बर से इंटर करने के बाद डिप्लोमा किया. इस दौरान उसने एक मोबाइल दुकान खोला. इसके बाद उसकी मुलाकात कई अपराधियों से हुई. जिसके बाद से उसका कुनबा बढ़ने लगा. इसके बाद उसने हत्या की वारदात को अंजाम देना शुरू किया. धीरे धीरे इसका आतंक पूरे झारखंड में फैला और यह अपने साथ पढ़े लिखे हाई टेक युवाओं को पैसे का लालच देकर जोड़ता चला गया. अमन साहू को पहली बार पुलिस ने 2019 में गिरफ्तार किया था लेकिन वह पुलिस गिरफ्त से किसी तरह भाग गया. दुबारा अमन तीन साल बाद 2022 में पुलिस की गिरफ्त में आया.और फिलहाल वह दुमका जेल में बंद है.लेकिन अमन जेल से ही अपने गैंग को ऑपरेट कर रहा है. जेल से ही रंगदारी की मांग कर रहा है.
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