टीएनपी डेस्क(TNP DESK): अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की महज 413 पन्नों की रिपोर्ट से भारत के आर्थिक-राजनीतिक जगत में तूफान है, वह अडाणी समूह जिसे विपक्ष प्रधानमंत्री का मित्र बतलाता फिरता था, जिस अडाणी समूह पर देश के चुनिंदा पत्रकार रवीश कुमार को बेरोजगार करने का आरोप लगता है, वह रवीश कुमार जो बड़े ही गर्व से यह कहकर अपनी मार्केटिंग करते थें कि एक रवीश कुमार को खरीदने के लिए गोदी सेठों ने पूरा का पूरा चैनल ही खरीद लिया. आखिर वह अडाणी समूह इतना कमजोर कैसे निकला कि वह महज 413 पन्नों की रिपोर्ट को झेल नहीं पाया.
रिपोर्ट सामने आते ही हिल गया अडाणी का साम्राज्य
रिपोर्ट सामने आते ही अडाणी समूह का अब तक का साम्राज्य बुरी तरह हिल गया, या यों कहें कि वह जमींदोज होने के कगार पर खड़ा है. बताया जा रहा है कि महज नौ दिनों में अडाणी समूह को करीबन 10 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है.
अडाणी का साम्राज्य ढहने पर रवीश कुमार की चुटकी
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने और अडाणी समूह का साम्राज्य बिखरने पर रवीश कुमार केन्द्रीय सरकार पर चुस्की लेते हुए कहते हैं कि अब तक तो ईडी को अमेरिका में हिंडनबर्ग का कार्यालय में छापा मार देना चाहिए था. साफ है कि रवीश कुमार अडाणी समूह और भाजपा को एक दूसरे के सहयोगी के रुप में देख रहे हैं. साथ ही इन पंक्तियों से रवीश कुमार का अडाणी समूह और केन्द्र सरकार के प्रति उनकी नाराजगी और दर्द को भी समझा जा सकता है. लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि इन 413 पन्नों की रिपोर्ट के साथ भारत के सबसे अमीर और दूनिया के तीसरे रईस शख्स को जमीन पर लाने वाला यह कौन सी संस्था है, और इसकी विश्वनीयता कितनी है?
हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है
हिंडनबर्ग रिसर्च की स्थापना 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी. इसका नामांकरण 1937 में हुए हिंडनबर्ग विमान आपदा के नाम पर किया गया है. उस हादसे में करीबन 35 लोग मारे गये थें. कंपनी का मुख्य कार्य वित्तीय शोध करना है, यह इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करती है. इसकी पहचान कॉरपोरेट जगत से जुड़े खुलासों को भी लेकर है. कंपनी शेयर मार्केट में पैसों की हेराफेरी पर नजर रखती है, उसकी नजर कंपनी के अकाउंट पर भी रहती है, कंपनी इस बात पर भी बारीक नजर रखती है कि कोई कंपनी अपने लाभ को वास्तविक लाभ से बड़ा बनाकर दिखाकर मार्केट में पैसे का उठाव तो नहीं कर रही. अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में अनुचित तरीके से दूसरी कंपनियों को नुकसान तो नहीं पहुंचाया जा रहा.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने 25 जनवरी को अडाणी ग्रुप के संबंधित 413 पन्नों का रिपोर्ट पेश किया
इसी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 25 जनवरी को अडाणी ग्रुप के संबंधित 413 पन्नों की रिपोर्ट पेश किया, जिसमें 88 प्रश्न पूछे गये थें, जिसमें यह दावा किया गया है कि अडाणी समूह शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है. कंपनी का दावा है कि पिछले तीन वर्षो में अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी की संपत्ति एक अरब डॉलर से बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गया. जबकि इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयरों में औसतन 819 फीसदी वृद्धि देखी गयी.
अडाणी समूह का मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक कई मुखौटा कंपनियों में निवेश होने का दावा
हिंडनबर्ग रिसर्च में इस बात का दावा किया गया है कि अडाणी समूह का मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक कई मुखौटा कंपनियों में निवेश हैं. कंपनी का दावा है कि इसका उपयोग अडाणी समूह की ओर से भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग के लिए किया गया. हिंडनबर्ग रिसर्च का दावा है कि इस रिपोर्ट को तैयार करने के पहले उसके द्वारा अडाणी समूह के दर्जनों पूर्व अधिकारियों से बात की गयी है. हजारों रिपोर्टों को खंगाला गया है. कंपनी का दावा कि अडाणी समूह के द्वारा बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रख कर कर्ज लिया गया. कंपनी कहता है कि यदि गौतम आडाणी में पारदर्शिता है तो वह हमारे सवालों का जवाब दें.
अडाणी समूह का दावा रिपोर्ट पेश करने से पहले उनका पक्ष नहीं लिया गया
इधर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने इसे निराधार बताया है, अडाणी समूह कहता है कि रिपोर्ट प्रकाशित करने के पहले तथ्यात्मक आंकड़ों के लिए उसे सम्पर्क नहीं किया गया. अडाणी समूह के लीगल हेड जतिन जलुंढ़वाला का कहना है कि इस रिपोर्ट से शॉर्ट सेलर करने वाली हिंडनबर्ग को लाभ होने वाला है, हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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