चतरा (CHATRA) : हम खाने नहीं पढ़ने आते हैं. हमें पढ़ाई चाहिए. हमें शिक्षक चाहिए. इनता बोलकर बच्चों ने एमडीएम छोड़कर हंगामा करना शुरू कर दिया. 350 बच्चों के नामांकन वाले विद्यालय में तीन तीन साल से केवल भोजन करने के लिए बच्चे आते हैं. आलम यह है कि इनको किताब-कॉपी खोले हुए एक-एक सप्ताह तक बीत जाता है.
हम बात कर रहे हैं झारखंड के चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड स्थित उत्क्रमित राजकीयकृत मध्य विद्यालय पैनीकला की. यहां के बच्चों ने मध्याह्न भोजन का बहिष्कार कर विभिन्न मांगों को लेकर धरना दिया. बच्चे नारा लगा रहे थे कि हमें भोजन नहीं शिक्षा चाहिए. बच्चों ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से विद्यालय में 350 बच्चों पर मात्र एक शिक्षक हैं. इसके कारण पढ़ाई ठप है. विद्यालय भोजनालय बनकर रह गया है. अपने भविष्य को अंधकार में जाते देख बच्चों ने यह निर्णय लिया कि अब अगर विद्यालय में पठन-पाठन की सुविधा नहीं मिली तो अपना पेट भरने विद्यालय नहीं आएंगे.
जानकारी मिलने के बाद मुखिया नंद पासवान विद्यालय पहुंचे और बच्चों को समझाया. लेकिन बच्चे अपनी मांगों पर अड़े रहे और एमडीएम खाने से इंकार कर दिया. बच्चों का आरोप है कि पिछले तीन वर्षों से विद्यालय आ रहे हैं और सिर्फ मध्यान भोजन कर वापस लौट जाते हैं.
विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रेम कुमार ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से विद्यालय में सिर्फ एक शिक्षक पदस्थापित हैं. इसके कारण विद्यालय में पढ़ाई पूरी तरह से ठप है. प्रधानाध्यापक का कहना है कि बच्चों की यह मांग पूरी तरह से जायज है. इस विद्यालय के बच्चों का विद्यालय से सिर्फ खाना खाने तक का ही नाता रह गया है. मुखिया का कहना है कि कई बार विद्यालय के इस समस्या के समाधान हेतु विभाग को पत्र लिखा गया है. लेकिन इस पर आज तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई है.
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