रांची(RANCHI)- ईडी की कैद में वीरेन्द्र राम के काले कारनामे एक-एक कर सामने आ रहे हैं, हर रोज वह ईडी के अधिकारियों को एक नई कहानी सुनाता है. ताजा मामले में यह जानकारी सामने आयी है कि जल संसाधन विभाग का इंजीनियर वीरेन्द्र राम ना सिर्फ सिंचाई और ग्रामीण विकास का विशेषज्ञ था वह तो वित्तीय प्रबंधन का भी उस्ताद था. काली कमाई को सफेद करने का वह जादूगर था. तिकड़म ऐसी कि अपनी काली का निवेश करने के लिए उसने फर्जी आधार, फर्ज पैन के सहारे कई फर्जी कंपनियां खोल रखी थी.
रिटायर्ड पिता के खाते में फर्जी कंपनियों के सहारे 4.29 करोड़ का स्थानांतरण
ईडी को यह जानकारी हाथ लगी है कि इन फर्जी कंपनियों में उसने करीबन 109.18 करोड़ का निवेश किया था. इन्ही फर्जी कंपनियों के सहारे उसने अपने रिटायर्ड पिता गेंदा राम के खाते में करीबन 4.29 करोड़ का स्थानांतरण करवाया था. गेंदा राम के खाते में यह राशि राकेश कुमार केडिया, मनीष और नेहा श्रेष्ठ के खातों से गया था. जबकि केडिया, मनीष और नेहा श्रेष्ठ के खातों में यह राशि खाटू श्याम ट्रेडर्स, अनिल कुमार गोविंद राम ट्रेडर्स और ओम ट्रेडर्स के खातों से गयी थी.
मोबाइल नम्बर से खुला उसका राज
दावे यह भी किये जा रहे हैं कि किसी ताराचंद नामक व्यक्ति ने अपनी तस्वीर लगा कर सचिन गुप्ता (पिता अशरफ़ी लाल गुप्ता) के फर्जी नाम से सारे दस्तावेज बनाकर इन कंपनियों का निर्माण किया था, कंपनी के खाता को मोबाइल नंबर-9891069772 से लिंक करवाया गया था. जब ईडी की जांच बढ़ी तो मालूम हुआ कि यह मोबाइल नंबर-9891069772 ताराचंद (पिता कल्याण प्रसाद) के नाम से निर्गत है. जिसके बाद ताराचंद से पूछताछ शुरु हुई, आगे की पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि यह अकाउंट उसी का है, यह सब कुछ उसने वीरेन्द्र राम के सीए मुकेश मित्तल के निर्देश पर किया है.
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