लातेहार(LATEHAR): जिले के चकला पंचायत अंतर्गत बाना गांव स्थित बंद पड़े अभिजीत ग्रुप के पावर प्लांट में जांच एजेंसी की एक टीम ने छापेमारी की. बता दें कि छापेमारी बीते कल यानी गुरुवार को हुई है. इस दौरान छापेमारी टीम ने कॉर्पोरेट पावर लिमिटेड और लिक्विडेशन कर रही कंपनी के कर्मियों से पूछताछ की. टीम ने दस्तावेज की मांग करते हुए आवश्यक जानकारी भी कर्मियों से मांगी है. वहीं, कर्मियों से लिए गए कागज़ातों को छापेमारी टीम ने एक रूम में रखकर सील कर दिया है. मिली जानकारी के अनुसार बंद पड़े प्लांट में करीब 7 घंटों तक जांच एजेंसी की टीम ने छापेमारी की थी.
ACB या सीबीआई किसने की छापेमारी?
बता दें कि बंद प्लांट में गुरुवार दोपहर में ही छापेमारी की गई थी, जो लगभग सात से आठ घंटे तक चली. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि जांच एजेंसी में एसीबी या फिर सीबीआई की टीम शामिल थी. जांच करने आई टीम किस विभाग से थी इसपर अभी भी संशय बरकरार है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त छापेमारी प्लांट में हो रही स्क्रैप के नाम पर अनिमियता की शिकायत पर की गई है. बता दें कि प्लांट बंद होने के बाद बैंकों की देनदारी के लिए बंद पड़े प्लांट को नीलाम कर दिया गया था. स्क्रैप का ऑक्शन कर इसे बेचा जाने लगा था, हालांकि स्क्रैप का काम शुरू होते ही विवाद भी शुरू हुआ. मैन पावर ने पूरी प्रक्रिया को अवैध बताते हुए कई बार हंगामा किया और गलत तरीके से स्क्रैप के नाम पर प्लांट की संपत्ति को बेचने का आरोप लगाया.
खेल में हाई प्रोफाइल लोग शामिल
सूत्रों से मिली जानकारी कि मानें तो इस पूरे खेल में कई हाई प्रोफाइल लोग भी शामिल हैं. लिहाजा शिकायत के बावजूद स्थानीय प्रशासन इस पूरे मामले पर कोई भी कार्रवाई करने से बचती दिखाई देती है. बता दें कि अभिजीत पावर प्लांट से स्कैप के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है. बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से मौन है.
प्रतुल नाथ शाहदेव ने बताया था साहिबगंज पार्ट-2
बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने भी सवाल उठाते हुए जांच करने की मांग की थी. उन्होंने इसे ट्विटर पर पोस्ट किया था और इस पूरे खेल को साहिबगंज पार्ट-2 बताया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिर्फ नवंबर महीने में ही एक करोड़ से ज्यादा की स्क्रैप चोरी कर बाहर की मंडी में भेजा गया है. इस अवैध धंधे में कबाड़ी दुकानदार संबंधित विभाग को मैनेज कर इस खेल को अंजाम दे रहे हैं. इस बात पर खुद एक कबाड़ी ढोने वाले युवक ने मुहर लगाई है. उसने बताया कि हम लोग अभिजीत ग्रुप से चोरी का लोहा लाकर कबाड़ी दुकान में बेचते हैं और इससे प्रत्येक दिन एक मोटरसाइकिल चालक 20 से 25 हजार तक मुनाफा कमा लेता है. इस पूरे खेल में पुलिस और रेलवे विभाग के अधिकारियों का भी मौन समर्थन समझ से परे है. बहरहाल, अब देखना है कि जांच एजेंसी इस मामले पर आगे क्या कार्रवाई करती है.
क्या है स्क्रैप उठाव का मामला ?
दरअसल, बैंक अपना पैसा निकालने के लिए पॉवर प्लांट से स्क्रैप का उठाव करा रही है. इसके लिए टेंडर निकाला गया और कंपनी को इसका टेंडर दिया गया. जिस स्क्रैपर कंपनी को स्क्रैप उठाने का काम मिला है, वह लगातार वहां से स्क्रैप का उठाव कर रही है. लेकिन इसका विरोध भी हो रहा है क्योंकि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है और कोर्ट ने स्क्रैप उठाने जैसा कोई आदेश पारित नहीं किया है. इसके विरोध में कई बार वहां के लोगों द्वारा विरोध भी किया गया.
लगभग 2 महीने पहले स्क्रैप बेचे जाने के लिए हुआ था टेंडर
बता दें कि लगभग पिछले 2 महीने से चंदवा प्रखंड में अभिजीत ग्रुप के पावर प्लांट को स्क्रैप बेचे जाने के टेंडर होने के बाद यह कार्य किया जा रहा है. लेकिन इस कार्य में वैध कार्य कम और अवैध कार्य ज्यादा किया जा रहा है. बालूमाथ प्रखंड मुख्यालय में आधा दर्जन से अधिक कबाड़ी दुकान संचालित है और सभी कबाड़ी दुकानदार पिछले 2 महीने में इस अवैध कारोबार से मालामाल हो चुके है. बहरहाल बालूमाथ प्रखंड में लगभग 70-80 की संख्या में मोटरसाइकिल से कबाड़ के नाम पर स्क्रैप की ढुलाई की जा रही है. स्थानीय लोग लगातार इसका विरोध भी कर रहे हैं.
2006 में चंदवा के चकला (बाना) गांव में 2000 मेगावाट के एक बड़े पावर प्लांट लगाने की रखी गई आधारशिला
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 82 किलोमीटर दूर चंदवा स्थित है. इसे पलामू प्रमंडल का प्रवेश द्वार भी माना जाता है. कभी माना जाता था कि बोकारो के बाद चंदवा राज्य का दूसरा औद्योगिक शहर बनेगा. इसके लिए कदम भी उठाए जा रहे थे. चंदवा में कई पॉवर प्लांट लगने थे. लोगों में भी खुशियां थी क्योंकि प्लांट लगने से लोगों को रोजगार भी मिलते और इलाके का विकास भी जल्दी होता. लोगों की खुशी रंग लाई और वर्ष 2006 में चंदवा के चकला (बाना) गांव में 2000 मेगावाट के एक बड़े पावर प्लांट लगाने की आधारशिला रखी गई. अभिजीत ग्रुप को ये पॉवर प्लांट लगाने की जिम्मेदारी मिली. लगभग नौ हजार करोड़ रुपये की लागत से पावर प्लांट की स्थापना शुरू की गयी. इतने सारे पैसे किसी भी कंपनी के लिए किसी प्रोजेक्ट में आसान बात तो थी नहीं, तो एसबीआइ कैप और अन्य कई वित्तीय संस्थानों ने इस पावर प्लांट के लिए फाइनेंस उपलब्ध कराया. पावर प्लांट का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका था. मगर, तभी लोगों की खुशियों पर ग्रहण लग गया. देश में कोल स्कैम का मामला सामने आया और इस कोल स्कैम में अभिजीत ग्रुप के निदेशकों का नाम भी शामिल था. इसका नतीजा ये हुआ कि अभिजीत ग्रुप का चकला कोल ब्लॉक रद कर दिया गया. इसके बाद बैंकों ने भी अभिजीत ग्रुप का साथ छोड़ दिया. नतीजन प्लांट बंद पड़ा हुआ है और इसकी स्कैपिंग शुरू कर दी गई है.
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