टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बिहार सरकार ने तय किया है कि किसी को भी आवासहीन नहीं रहना है.जिनके पास जमीन नहीं है,उन्हें सरकार भूखंड उपलब्ध कराएगी. इस दिशा में केबिनेट का निर्णय हो गया है.नीतीश सरकार ने यह तय किया है कि जिन लोगों के पास अपनी जमीन नहीं है यानी वह भूमिहीन हैं तो उन्हें सरकार जमीन उपलब्ध कराएगी.
क्या भूमिहीन परिवार को मिलेगा भूखंड
बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि निजी सरकार का यह संकल्प है कि भूमिहीन परिवारों को भूखंड दिया जाए इस संबंध में कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समीक्षा कर चुके हैं. मालूम हो कि 2014 में भूमिहीन परिवारों का सर्वेक्षण किया गया था. भूमिहीन परिवारों को तीन से पांच डिसमिल तक जमीन दी जाती है प्राथमिकता के आधार पर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग समेत अन्य श्रेणी के लोगों को यह सुविधा दी जाती है. बताया गया है कि 2014 के सर्वेक्षण के दौरान 24000 परिवारों को को चिन्हित किया गया था और उन्हें भूखंड आवंटित किया जाना था. इस साल से यह प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार की प्राथमिकता है कि बिहार में किसी भी परिवार को आवासहीन नहीं रहना है.इसके लिए उन्हें पहले भूखंड आवंटित किया जाएगा.फिर सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत आवास उपलब्ध कराए जाएंगे.
हेमंत सरकार जल्द ही बिहार की तर्ज पर ला सकती है ये योजना
अब सवाल उठता है कि झारखंड में गठबंधन सरकार क्या इस तरह की योजना शुरू कर सकती है. हेमंत सरकार यह जरूर चाहती है कि गरीब और वंचित वर्ग के आवासहीन परिवारों को आवास उपलब्ध कराया जाए. केंद्र प्रायोजित योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बहुत सारे लोगों को आवास मिले हैं. लेकिन इस योजना का लाभ उन्हीं को मिलता है जिनके पास अपनी जमीन होती है. झारखंड में बिरसा आवास योजना के अलावा अंबेडकर आवास योजना भी ग्रामीण क्षेत्रों में लागू है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिनके पास कोई जमीन नहीं है.उन्हें सबसे पहले भूखंड उपलब्ध कराया जाए. राज्य सरकार के पास गैरमजरूआ जमीन बड़ी मात्रा में है. सरकार उनका प्लॉटिंग कर आवंटित कर सकती है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हेमंत सरकार जल्द ही बिहार की तर्ज पर इस तरह की योजना ला सकती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री हैं.
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